त्रिवेणी संगम वह पवित्र स्थल है, जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियां मिलती हैं.
यह स्थल महाकुंभ के प्रमुख अनुष्ठानों का केंद्र रहा है, जहां संतों, श्रद्धालुओं और तीर्थयात्रियों ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा को पूर्ण करने के लिए स्नान और पूजा-
इस बार महाकुंभ में भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से श्रद्धालु पहुंचे. विशेषकर मुख्य स्नान पर्वों पर संगम में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली.
इन विशेष स्नान पर्वों के दौरान आकाश से श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई, जिससे पूरे वातावरण में दिव्यता और भव्यता का अद्भुत नजारा देखने को मिला.
उत्तर प्रदेश सूचना विभाग के अनुसार, 18 फरवरी तक 55.56 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके थे. इस संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने कुंभ क्षेत्र में पुख्ता इंतजाम किए हैं.
जगह-जगह साइनबोर्ड, पंटून पुल, स्वच्छता अभियान और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया गया, जिससे भक्तों को किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े.
महाकुंभ न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए प्रसिद्ध रहा, बल्कि इस बार संस्कृति और पर्यटन पहलुओं ने भी लोगों का ध्यान आकर्षित किया. विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, आध्यात्मिक प्रवचन और प्रदर्शनी यहां के प्रमुख आकर्षणों में शामिल रहीं.
इसके अलावा, संगम में स्नान करने के बाद कई भक्त वाराणसी और अयोध्या की ओर भी प्रस्थान कर रहे हैं. इन पवित्र स्थलों पर आगंतुकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिससे उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को और बढ़ावा मिला है.
महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन रहा, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और श्रद्धा का प्रतीक भी बना. जैसे-जैसे यह दिव्य पर्व अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का प्रवाह भी संगम की तरह अनवरत बना हुआ है.
अंतिम स्नान दिवस पर भी लाखों श्रद्धालुओं के उमड़ने की संभावना है, जिससे यह कुंभ ऐतिहासिक रूप से यादगार बन जाएगा.
ADVERTISEMENT