Updated on: 17 May, 2024 01:00 PM IST | Mumbai
Shirish Vaktania
`जिस दिन घाटकोपर होर्डिंग हादसा हुआ तब मैं वहीं था और विशाल होर्डिंग के नीचे फंसा हुआ था.`
58 वर्षीय व्यक्ति ने मिड-डे को बताया कि कैसे एक जान बचाने में भतीजे और पांच से दस लोगों को डेढ़ घंटे से अधिक समय लगा.
Ghatkopar hoarding collapse: `हॉर्न मैंने खुद की जान बचाई है` यह कहना टैक्सी ड्राइवर राकेश गुजराल का है. जोकि घाटकोपर होर्डिंग हादसे का शिकार है. राकेश गुजराल ने मिड-डे को बताया, `जिस दिन घाटकोपर होर्डिंग हादसा हुआ तब मैं वहीं था और विशाल होर्डिंग के नीचे फंसा हुआ था.` घाटकोपर पूर्व में रमाबाई अंबेडकर नगर के 58 वर्षीय निवासी ने ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि `अगर उस दिन मेरा हॉर्न काम नहीं करता, तो मैं आज आपके सामने खड़ा नहीं होता.` उन्होंने कहा कि `मैं अपनी टैक्सी में सीएनजी भरवाने के लिए पेट्रोल पंप पर था. होर्डिंग गिरने के बाद उन्होंने तुरंत अपनी पत्नी और बहन को मदद के लिए बुलाया और अपने भतीजे को उन्हें बचाने के लिए भेजा गया. बहुत तलाश करने के बावजूद, वह मेरा पता लगा नहीं पा रहे थे. इसके बाद मैंने हॉर्न बजाना शुरू किया. जिसके बाद उन्हें मुझे ढूढ़ने में आसानी हुई.`
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सिर में चोट लगने से गुजराल ने मिड-डे को बताया, `मैं पिछले 30 सालों से टैक्सी ड्राइवर हूं. मैंने यह टैक्सी 13 साल पहले किसी और के परमिट पर खरीदी थी. मैं शाम 4 बजे के आसपास काम खत्म करता हूं. बाद में, मैं अपने वाहन में ईंधन भरवाता हूं और घर लौट आता हूं. सोमवार शाम को, मैं घाटकोपर पूर्व में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर भारत पेट्रोलियम पंप पर अपनी टैक्सी के अंदर बैठा था, तभी अचानक भारी बारिश होने लगी.`
उन्होंने बताया कि `अचानक होर्डिंग पेट्रोल पंप पर गिर गया. इसका एक हिस्सा मेरी टैक्सी पर भी गिर गया, जिससे मैं फंस गया. मैं हिलने-डुलने में असमर्थ हो गया और सब कुछ अंधकारमय हो गया. मैंने अपना फोन निकाला और मदद के लिए अपनी पत्नी मीना को फोन किया. बाद में, मैंने अपनी बहन सीमा सोंडी को बुलाया, जो पास में रहती है. मेरी बहन ने मुझे बताया कि वह अपने बेटे निखिल को मौके पर भेज रही है और वह पांच से सात मिनट में पहुंच जाएगा. हालांकि, मौके पर कई लोग जमा हो गए, जिससे उनके लिए पेट्रोल पंप क्षेत्र में प्रवेश करना मुश्किल हो गया. आखिरकार, निखिल, जो लगभग तीस साल का है, ने गुजराल को फोन किया और गुजराल ने उसे सूचित किया कि वह होर्डिंग के नीचे फंस गया है. उसे ढूंढने में असमर्थ निखिल ने अपने चाचा से हॉर्न बजाने को कहा.
राकेश गुजराल ने बताया कि `मैंने अपना सटीक स्थान बताने के लिए लगातार हॉर्न बजाना शुरू कर दिया. मेरा भतीजा मेरे मौके पर पहुंचा और अन्य लोगों की मदद से होर्डिंग बैनर को फाड़ दिया. वह मुझे अपने आप नहीं हटा सका. उन्होंने घटनास्थल पर मौजूद पांच से 10 लोगों की मदद ली. उन्होंने होर्डिंग के ऊपर से नीचे तक एक श्रृंखला बनाई. फिर निखिल अंदर आया, लोहे के कुछ हिस्सों को हटाया और मेरे लिए रास्ता बनाया. कुछ दर्शकों ने उसे उल्टा होने पर पकड़ लिया ताकि वह मेरी टैक्सी तक पहुंच सके. फिर उसने खिड़की का शीशा तोड़ा और मुझे मलबे से बाहर निकाला. आख़िरकार मैंने कुछ लोहे की छड़ें पकड़ीं और ऊपर चढ़ गया. दूसरों ने हमें बाहर निकालने में मदद की.`
गुजराल ने कहा, उनकी कैब में सब कुछ अंधेरा था और गुजराल केवल मदद के लिए पुकारने वाली आवाजें सुन सकते थे. डेढ़ घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद गुजराल को राजावाड़ी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें भर्ती कराया गया. जब डॉक्टरों ने सीटी स्कैन किया और पाया कि कोई बड़ी चोट नहीं है, तो उन्हें छुट्टी दे दी गई. गुजराल के दो बेटे हैं जो विदेश में हैं. गुजराल ने कहा, `टैक्सी चलाना मेरी आय का एकमात्र स्रोत है, और मेरा वाहन मरम्मत से परे क्षतिग्रस्त हो गया है. अगर मैं बीमा कराऊंगा तो यह करीब डेढ़ लाख रुपये होगा, लेकिन एक नई टैक्सी की कीमत करीब 4-5 लाख रुपये है. मैं बच गया और अपना दूसरा जीवन जी रहा हूं. मेरी टैक्सी के हार्न ने मुझे बचा लिया.`
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