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अडानी को देवनार डंपिंग ग्राउंड सौंपने पर आदित्य ठाकरे का हमला, `मुंबई ने दिया टैक्स, अडानी को फायदा क्यों?`

Updated on: 15 May, 2025 08:52 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

मुंबई मनपा ने देवनार डंपिंग ग्राउंड को अडानी समूह को सौंपने का निर्णय लिया है, जिसके तहत 110 हेक्टेयर जमीन पर जमा 185 लाख टन कचरे को हटाने का कार्य किया जाएगा. इस फैसले पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने सवाल उठाए हैं.

X/Pics, Aaditya Thackeray

X/Pics, Aaditya Thackeray

मुंबई महानगरपालिका (मनपा) ने देवनार डंपिंग ग्राउंड को अडानी समूह को सौंपने का निर्णय लिया है. इस फैसले के तहत, 110 हेक्टेयर जमीन पर पिछले कई वर्षों से जमा हुए 185 लाख टन कचरे को हटाने का कार्य अडानी समूह को सौंपा जाएगा. इस काम पर करोड़ों रुपये खर्च होंगे. यह कदम मुंबई के कचरा प्रबंधन को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है, लेकिन इस मुद्दे पर राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है.

 



 


शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता और युवासेना प्रमुख आदित्य ठाकरे ने इस निर्णय पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर महायुति सरकार को निशाने पर लेते हुए लिखा कि, “कारण यह है कि @mybmc ने मुंबई पर ‘waste management fee’ के रूप में अडानी टैक्स लगाया है. मुंबई से जबरन छीनी गई ज़मीन. अडानी समूह की ज़मीन, धारावी के 50,000 निवासियों को यहाँ बसाने के लिए. कौन भुगतान करेगा- मुंबईकर अपने कर के पैसे से. अडानी समूह के लिए. अडानी समूह द्वारा छीनी गई ज़मीन को साफ करने के लिए मुंबई को भुगतान क्यों करना चाहिए?”

आदित्य ठाकरे ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि मुंबई के नागरिकों के टैक्स पैसे से अडानी समूह के लिए काम किया जा रहा है. उनका कहना है कि यह निर्णय शहरवासियों के लिए कोई राहत नहीं बल्कि अडानी समूह को फायदे पहुंचाने के उद्देश्य से लिया गया है.

देवनार डंपिंग ग्राउंड का कचरा हटाने का कार्य कई वर्षों से लंबित था, और इसके समाधान के लिए मनपा ने अडानी समूह को चुना है. हालांकि, इस निर्णय के बाद से राजनीतिक बवाल मचा हुआ है. अडानी समूह द्वारा इस परियोजना पर काम करने से संबंधित कई मुद्दों को लेकर विपक्ष ने आरोप लगाए हैं.

मुंबई के नागरिकों के लिए यह सवाल भी महत्वपूर्ण है कि क्या उनका कर पैसा इस तरह की परियोजनाओं में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जिनसे किसी निजी कंपनी को फायदा हो. इस मुद्दे पर मुंबई के नागरिकों में भी असमंजस है कि क्या यह निर्णय सही है या नहीं.

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