Updated on: 01 May, 2025 03:26 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
पवार ने महाराष्ट्र के 65वें स्थापना दिवस के अवसर पर पुणे सिटी पुलिस मुख्यालय परेड ग्राउंड में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद ये टिप्पणी की.
अजित पवार. फाइल फोटो
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने गुरुवार को आगामी राष्ट्रीय जनगणना में जाति गणना को शामिल करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे समाज को बेहतर ढंग से समझने और प्रभावी नीति निर्माण में मदद मिलेगी. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार पवार ने महाराष्ट्र के 65वें स्थापना दिवस के अवसर पर पुणे सिटी पुलिस मुख्यालय परेड ग्राउंड में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद ये टिप्पणी की. प्रेस से बात करते हुए, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता ने प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्रिमंडल का आभार व्यक्त किया.
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रिपोर्ट के मुताबिक पवार ने कहा, "जाति आधारित जनगणना की मांग कई वर्षों से चल रही है." "यह देश की सामाजिक संरचना की एक स्पष्ट तस्वीर प्रदान करता है और समावेशी नीतियों के निर्माण का समर्थन करता है. केंद्र का यह कदम कई समुदायों को न्याय दिलाएगा, जिन्हें लंबे समय से मान्यता का इंतजार है."
पवार ने यह भी बताया कि विपक्ष अक्सर अच्छे फैसलों का राजनीतिकरण करता है. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, "अगर कोई प्रगतिशील कदम उठाया जाता है, तो वे इसे वोट बैंक की राजनीति कहते हैं. अगर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है, तो वे कहते हैं कि सरकार निष्क्रिय है. यह उनका मानक कथन बन गया है. लोकसभा चुनाव अभी साढ़े चार साल दूर हैं, इस बीच केवल कुछ राज्य चुनाव होने हैं." पवार ने "एक राष्ट्र, एक चुनाव" अवधारणा का भी समर्थन किया, इसे माल और सेवा कर (जीएसटी) की शुरूआत के समान बताया. पवार ने कहा, "जैसे हमने `एक राष्ट्र, एक कर` लागू किया, वैसे ही हमें अब `एक राष्ट्र, एक चुनाव` पर विचार करना चाहिए. इससे स्थिरता आएगी और चुनावी व्यवधानों की आवृत्ति कम करने में मदद मिलेगी. अगर अटल बिहारी वाजपेयी जीवित होते, तो मेरा मानना है कि वे इस विचार का तहे दिल से स्वागत करते."
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने हाल ही में राष्ट्रीय जनगणना में जाति के आंकड़ों को शामिल करने को मंजूरी दी. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह कदम देश के सामाजिक ताने-बाने और संवैधानिक मूल्यों के प्रति केंद्र की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि कई राज्यों ने स्वतंत्र जाति सर्वेक्षण किए हैं, लेकिन इनमें अक्सर निरंतरता, पारदर्शिता और उद्देश्यपूर्ण उद्देश्य की कमी रही है. वैष्णव ने कहा, "इस तरह के खंडित प्रयासों ने कई बार भ्रम पैदा किया है और राजनीतिक अशांति को जन्म दिया है." "इसलिए जाति गणना आधिकारिक जनगणना के माध्यम से की जानी चाहिए, न कि अलग-अलग अभ्यासों के माध्यम से." पवार ने यह भी कहा कि आगामी विश्व ऑडियो विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (WAVES 2025) के कारण यह महाराष्ट्र दिवस विशेष रूप से खास है, जिसे राज्य में आयोजित किया जाएगा, जो रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरह की पहली पहल है.
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