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नए आपराधिक कानूनों पर बोले बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस- `बदली हुई मानसिकता के साथ स्वागत किया जाना चाहिए`

Updated on: 01 July, 2024 02:32 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

उन्होंने न्याय प्रशासन के प्रभारी व्यक्तियों से नए विधायी ढांचे के तहत अपने दायित्वों को स्वीकार करने का आग्रह किया जो 1 जुलाई को लागू हुआ.

बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय, राज्यपाल बैस/आशीष राजे के साथ

बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय, राज्यपाल बैस/आशीष राजे के साथ

बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों को नए दृष्टिकोण से अपनाना आवश्यक है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने परिवर्तन का विरोध करने की स्वाभाविक इच्छा को स्वीकार किया. उन्होंने न्याय प्रशासन के प्रभारी व्यक्तियों से नए विधायी ढांचे के तहत अपने दायित्वों को स्वीकार करने का आग्रह किया जो 1 जुलाई को लागू हुआ.

रिपोर्ट के मुताबिक आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील मार्ग शीर्षक से विधि और न्याय मंत्रालय के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, सीजे उपाध्याय ने नए आपराधिक कानूनों के सफल निष्पादन के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "परिवर्तन का विरोध करना हमारी स्वाभाविक प्रवृत्ति है या हम अपने आराम क्षेत्र से बाहर आने से कतराते हैं. यह अज्ञात का डर है जो इस प्रतिरोध का कारण बनता है और हमारे तर्क को प्रभावित करता है."


तीन नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने सोमवार को क्रमशः ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले ली, जिससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आए.


30 जून को आयोजित कार्यक्रम में सीजे उपाध्याय ने कहा, "हम एक सदी से भी ज़्यादा समय से पुराने कानूनों के साथ आपराधिक न्याय प्रणाली से निपट रहे हैं. नए अधिनियम/कानून अपने साथ कुछ चुनौतियाँ लेकर आएंगे, लेकिन हमें उन्हें बदली हुई मानसिकता के साथ स्वीकार करना होगा और अपने कम्फ़र्ट ज़ोन से बाहर आना होगा, ताकि इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके." रिपोर्ट के अनुसार कार्यक्रम का उद्देश्य नए आपराधिक कानून के बारे में हितधारकों के बीच जागरूकता बढ़ाना और चर्चा को सुविधाजनक बनाना था. 


सीजे उपाध्याय ने सफल कार्यान्वयन के लिए सभी हितधारकों के बीच सहयोग के महत्व पर ज़ोर दिया. रिपोर्ट के मुताबिक सीजे उपाध्याय ने कार्यक्रम में कहा, "नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य न्यायिक देरी को रोकना और सूचना प्रौद्योगिकी के मजबूत उपयोग की शुरुआत करना है. एक युग से दूसरे युग में किसी भी संक्रमण की तरह शुरुआती परेशानियां आना तय है. हम संक्रमण के दौर में हैं. आज (30 जून) के बाद, हमारे पास आपराधिक कानूनों की एक नई व्यवस्था होगी, जिसके लिए सभी हितधारकों की ओर से बहुत अधिक तैयारी की आवश्यकता होगी." केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने नए आपराधिक कानूनों की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया. मेघवाल ने बताया, "नए आपराधिक कानूनों का उद्देश्य न्याय प्रदान करना है, औपनिवेशिक कानूनों के विपरीत जहां `दंड` पर ध्यान केंद्रित किया गया था." उन्होंने कहा कि इन कानूनों के निर्माण में सांसदों, विधायकों, आम नागरिकों और भारत के विधि आयोग सहित विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श शामिल था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून विविध दृष्टिकोणों को दर्शाता है और आपराधिक न्याय को प्रशासित करने में मौजूदा चुनौतियों का समाधान करता है.


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