Updated on: 13 June, 2025 02:06 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
दीपक भदौरिया और आकाश शनि ने मिड-डे को बताया कि भयावहता समझ से परे है. दीपक ने कहा कि हमने बिना पैरों के शव देखे.
फोटो/मयूर भट्ट
आम लोगों ने असाधारण जिम्मेदारी, करुणा और मानवता दिखाई और अधिकारियों को दुर्घटना स्थल से क्रैश में मारे गए लोगो के शवों को निकालने में मदद की. दीपक भदौरिया और आकाश शनि ने मिड-डे को बताया कि भयावहता समझ से परे है. दीपक और आकाश ने कहा कि हमने बिना पैरों के शव देखे, कुछ बिना हाथों के.
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भदौरिया ने संदर्भ देते हुए कहा, "हम एक छोटी सी दुकान पर चाय पी रहे थे, तभी अचानक हमें एक तेज़ धमाका सुनाई दिया. हमने एक जगह से धुआं उठते देखा. हम घटनास्थल की ओर भागे और देखा कि एक विमान एक इमारत से टकरा गया था. विभिन्न एजेंसियों के अधिकृत कर्मचारी शवों को निकालने की कोशिश कर रहे थे. हमने कम से कम आठ शवों को बाहर निकालने में मदद की."
शनि ने कहा, "मैंने एक बड़ी आग, धुआं और कई पूरी तरह से जले हुए शव देखे. जब हम शवों को निकाल रहे थे, तो मैंने एक शव को बाहर निकालने की कोशिश की, और फिर महसूस किया कि मेरे पास केवल एक हाथ है! कभी-कभी मैं शव का केवल एक पैर पकड़े रह जाता था. कुछ शवों को हमने बाइक पर पास की एम्बुलेंस तक पहुँचाया."
बचाव स्थल पर मौजूद हार्दिक गोस्वामी और जयदीपसिंह जाला जैसे अन्य लोगों ने कहा, "जब हमें दुर्घटना के बारे में पता चला, तो हम पुलिस की मदद के लिए दौड़े. दुर्घटना का पैमाना भयावह था; ज़्यादातर शव पूरी तरह जल चुके थे. हालाँकि, हमने तय किया कि जब मानवीय कार्य की बात आती है तो हमें संकोच नहीं करना चाहिए, और हमने कम से कम 10 से 12 शवों को निकालने में मदद की."
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