Updated on: 10 July, 2024 03:14 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
शाम को मराठा आरक्षण मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने बहिष्कार किया.
फाइल फोटो
महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को मुंबई में एक सर्वदलीय बैठक में मराठा कोटा पर आम सहमति बनाने पर जोर दिया और कहा कि भावनात्मक मुद्दे को हल करते समय, अन्य समुदायों के मौजूदा कोटे से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार शाम को मराठा आरक्षण मुद्दे पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने बहिष्कार किया. यह बैठक अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले और मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जरांगे द्वारा राज्य सरकार को ओबीसी श्रेणी के तहत कोटा सहित समुदाय की मांगों को स्वीकार करने के लिए निर्धारित समय सीमा पूरी होने से कुछ दिन पहले बुलाई गई थी.
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रिपोर्ट के मुताबिक देर रात मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) द्वारा जारी एक बयान में सीएम एकनाथ शिंदे के हवाले से कहा गया कि मराठा समुदाय और ओबीसी के लिए आरक्षण का मुद्दा केवल बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता ह. शिंदे ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि इस साल की शुरुआत में एक कानून के माध्यम से एक अलग श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को दिया गया 10 प्रतिशत आरक्षण कानून की कसौटी पर खरा उतरे.
उन्होंने आश्वासन दिया कि मराठा समुदाय को आरक्षण देते समय अन्य समुदायों के कोटे में कोई बाधा नहीं डाली जाएगी. रिपोर्ट के अनुसार शिंदे ने कहा कि निजाम के राजपत्रों की जांच करने के लिए 11 सदस्यीय टीम हैदराबाद भेजी गई है, जहां मराठवाड़ा के लोगों के कुनबी अभिलेख पाए जा सकते हैं. वर्तमान महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र निजाम के शासन के अधीन था.
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा कि शिंदे ने बैठक में राजनीतिक दलों के नेताओं की राय सुनी और मराठा आरक्षण के मुद्दे पर उचित निर्णय लेने का वादा किया. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि बैठक में "ऋषि सोयारे" (रक्त संबंधियों) को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के विवादास्पद मुद्दे पर भी चर्चा की गई.
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