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बाघों का शिकार रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों को करेगी शामिल

Updated on: 12 February, 2025 04:39 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

उन्होंने कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि म्यांमार और अन्य देशों में बिल्लियों के शरीर के अंगों की तस्करी की घटनाएं भी हुई हैं.

प्रतीकात्मक चित्र

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एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र वन विभाग ने बाघों के शिकार से निपटने के लिए ईडी सहित केंद्रीय जांच एजेंसियों की मदद लेने का फैसला किया है, क्योंकि चंद्रपुर में ऐसी घटना के तार शिलांग से जुड़े होने का पता चला है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि म्यांमार और अन्य देशों में बिल्लियों के शरीर के अंगों की तस्करी की घटनाएं भी हुई हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने चंद्रपुर के राजुरा वन क्षेत्र में एक बाघ को शिकार के लिए इस्तेमाल किए गए हथियारों और पहनने योग्य सामानों के साथ मृत पाया गया था. एक विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बाघों के शिकार के मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक को मेघालय के शिलांग से पकड़ा गया था. 


केंद्र सरकार की एजेंसी वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबी) ने 1 फरवरी को देश भर के बाघ अभयारण्यों के क्षेत्रीय निदेशकों को "रेड अलर्ट" जारी किया, जिसमें उनसे बड़ी बिल्लियों के शिकार को रोकने के लिए गश्त तेज करने का आग्रह किया गया. रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के वन मंत्री गणेश नाइक ने मंगलवार को राजुरा में बाघ शिकार मामले में बहेलिया गिरोह की कथित संलिप्तता पर चर्चा करने के लिए संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. उन्होंने कहा कि बाघ शिकार मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों से गहन पूछताछ की जानी चाहिए. 


बैठक में शामिल मुख्य वन्यजीव संरक्षक विवेक खांडेकर ने कहा, "राजुरा वन क्षेत्र में बाघ शिकार मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने पाया कि तस्करी के तार शिलांग तक फैले हुए हैं. हमारा अनुभव बताता है कि बड़ी बिल्लियों की खाल और उनके शरीर के अंगों की कभी-कभी सीमा पार म्यांमार, चीन और अन्य देशों में तस्करी की जाती है." रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "इसलिए, ऐसे मामलों में प्रवर्तन निदेशालय जैसी विशेष जांच एजेंसियों की भागीदारी बढ़ाने का फैसला किया गया." खांडेकर ने कहा कि चूंकि उनका अधिकार क्षेत्र सीमित है, इसलिए वे केंद्रीय एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी और अन्य आवश्यक जानकारी साझा करते हैं, जो इसमें शामिल लोगों को ट्रैक करने और पकड़ने के लिए अंतरराष्ट्रीय निकायों के साथ समन्वय कर सकती हैं. 

उन्होंने कहा, "यह भी निर्णय लिया गया है कि वन क्षेत्रों के निकट इलेक्ट्रॉनिक निगरानी बढ़ाई जाए, क्योंकि संदिग्ध व्यक्ति अक्सर अपने डिवाइस और सिम कार्ड बदलते रहते हैं." बैठक के दौरान मंत्री नाइक ने कहा कि शिकार मामले में गिरफ्तार व्यक्तियों और संबंधित व्यक्तियों के बैंक खातों की भी जांच की जानी चाहिए. उन्होंने कहा, "जांच के लिए अन्य संबंधित विभागों से सहायता ली जानी चाहिए." बाघों के शिकार को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए. मेलघाट की तरह अन्य क्षेत्रों में भी विशेष टीमें बनाई जानी चाहिए. नाइक ने कहा कि ऐसी टीमों के गठन का प्रस्ताव सरकार को तत्काल भेजा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "ऐसे शिकार गिरोहों के नेटवर्क को खत्म किया जाना चाहिए. इसके लिए गश्त बढ़ाई जानी चाहिए, बाघों के आवागमन के मार्गों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए, मुखबिरों का नेटवर्क विकसित किया जाना चाहिए, संदिग्धों पर कड़ी निगरानी रखी जानी चाहिए और आवश्यक उपकरण तुरंत उपलब्ध कराए जाने चाहिए." 


वन मंत्री ने स्थानीय समुदायों की भागीदारी का भी आग्रह किया, जो बाघों के शिकार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. उन्होंने कहा, "उन्हें आवश्यक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए और गश्त बढ़ाने में सक्रिय रूप से शामिल किया जाना चाहिए. इस प्रयास में अन्य विभागों से भी सहयोग मांगा जाना चाहिए." वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 30 दिसंबर, 2024 से 22 जनवरी, 2025 के बीच राज्य भर में विभिन्न घटनाओं में 12 बाघों की मौत हुई. आपसी संघर्ष, बीमारी और अन्य प्राकृतिक कारणों से लगी चोटों के कारण पांच बाघों की मौत हुई. 

अन्य जानवरों के लिए लगाए गए तारों से करंट लगने या वाहन की टक्कर लगने से चार बाघों की मौत हो गई. तीन मामलों में, मौतों का कारण अवैध शिकार बताया गया. आंकड़ों के अनुसार, इन अवैध शिकार की घटनाओं के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है. महाराष्ट्र में बाघों की आबादी पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ी है. 2006 में राज्य में 103 बाघ थे, और 2010 तक यह संख्या बढ़कर 169, 2014 में 190 और 2018 में 312 हो गई.

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