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विधायक सना मलिक-शेख का आरोप: धर्मार्थ अस्पतालों में गरीबों को नहीं मिल रही इलाज की सुविधा

Updated on: 04 July, 2025 09:15 AM IST | Mumbai
Ujwala Dharpawar | ujwala.dharpawar@mid-day.com

मुंबई की अनुशक्ति नगर विधायक सना मलिक-शेख ने धर्मार्थ ट्रस्ट अस्पतालों में गरीबों के लिए आरक्षित मुफ्त और सब्सिडी वाले बेड्स के दुरुपयोग पर सवाल उठाए हैं.

X/Pics, Sana Malik-Shaikh

X/Pics, Sana Malik-Shaikh

अनुशक्ति नगर की विधायक सना मलिक-शेख ने मुंबई शहर में धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पतालों में सरकार की ओर से गरीब और जरूरतमंद लोगों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के दुरुपयोग को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक वीडियो के माध्यम से सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि किस तरह ये अस्पताल सब्सिडी और सरकारी रियायतों के बावजूद पात्र मरीजों को इलाज से वंचित कर रहे हैं.

विधायक सना मलिक-शेख ने बताया कि राज्यभर में कई ऐसे ट्रस्ट अस्पताल हैं जिन्हें सरकार द्वारा बेहद कम दर पर भूखंड और अन्य रियायतें दी गई हैं. इन शर्तों के तहत इन अस्पतालों के लिए यह अनिवार्य है कि वे गरीब वर्गों को मुफ्त या कम लागत पर इलाज मुहैया कराएं. लेकिन, ग्राउंड पर हकीकत इससे अलग है.


उन्होंने इंडिया सीएसआर के माध्यम से विकास ग्लोबल चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण का हवाला दिया, जो 2023 से अब तक किया गया. सर्वे के अनुसार, इन अस्पतालों में 71% बेड निशुल्क गरीब मरीजों के लिए, 92% आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए और 2% आईपीएस फंड के तहत आरक्षित हैं. बावजूद इसके, इन सुविधाओं का सही ढंग से उपयोग नहीं हो रहा है.


मुंबई के प्रमुख अस्पतालों की स्थिति का जिक्र करते हुए विधायक ने बताया कि भाटिया जनरल अस्पताल में केवल 52.62% बेड बीपीएल वर्ग के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं जबकि 94.48% बेड कमजोर वर्गों के लिए आरक्षित हैं. वहीं, सोमैया अस्पताल में यह आंकड़ा 99.3% है. एसएल रहेजा सेबी अस्पताल, ब्रीच कैंडी और मसिना अस्पताल में भी 95% बेड आरक्षित हैं, लेकिन इनका उपयोग कितने जरूरतमंद मरीजों को मिला, इस पर सवाल खड़े हैं.

सना मलिक-शेख ने सरकार द्वारा 2024 में शुरू किए गए उस ऑनलाइन पोर्टल पर भी सवाल उठाए, जिसकी शुरुआत तत्कालीन उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने की थी. इस पोर्टल का उद्देश्य मेडिकल कॉलेज, ट्रस्ट अस्पताल और जिला कलेक्टरों के बीच सूचना साझा करना था. उन्होंने पूछा कि जब अब आंकड़े स्पष्ट हैं, तो क्या यह पोर्टल आम जनता के लिए भी सुलभ किया जाएगा? क्या अस्पतालों के बाहर बोर्ड लगाकर यह जानकारी सार्वजनिक की जाएगी कि यहां कितने मुफ्त बेड उपलब्ध हैं?


इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार अस्पतालों में खाली पड़े बेड को लेकर कोई ठोस निर्णय लेगी और क्या वह उन मरीजों के लिए भी विकल्प मुहैया कराएगी जो डिजिटल सुविधाओं का लाभ नहीं ले सकते?

इन सभी सवालों के माध्यम से विधायक सना मलिक-शेख ने सरकार से जवाबदेही की मांग की है और उम्मीद जताई है कि गरीब मरीजों को उनका हक दिलाने के लिए सरकार त्वरित और सख्त कदम उठाएगी.

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