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शिवाजी महाराज प्रतिमा विवाद: राजकोट किले में भाजपा और एमवीए समर्थकों में टकराव

Updated on: 29 August, 2024 03:14 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

राणे और ठाकरे के बीच प्रतिद्वंद्विता 20वीं सदी के आखिरी दशक से चली आ रही है.

महा विकास अघाड़ी के सदस्यों ने बुधवार को ठाणे में शिवाजी महाराज की मूर्ति गिराए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया.

महा विकास अघाड़ी के सदस्यों ने बुधवार को ठाणे में शिवाजी महाराज की मूर्ति गिराए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया.

राजकोट का किला, जहां इस सप्ताह की शुरुआत में शिवाजी महाराज की आठ महीने पुरानी प्रतिमा ढह गई थी, बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के समर्थकों के लिए युद्ध का मैदान बन गया. झड़प तब शुरू हुई जब स्थानीय भाजपा सांसद नारायण राणे और उनके बेटे नीलेश तथा विपक्ष के शीर्ष नेता आदित्य ठाकरे, जयंत पाटिल, विजय वडेट्टीवार और अंबादास दानवे लगभग एक ही समय पर स्थिति की समीक्षा करने के लिए पहुंचे.

दोनों पक्षों ने किले को छोड़ने से इनकार कर दिया. इसके बाद उन्होंने एक-दूसरे पर पत्थर और पानी की बोतलें फेंकी, क्योंकि पुलिस ने दोनों लिंगों के राजनीतिक कार्यकर्ताओं को नियंत्रित करने की कोशिश की. यह तुरंत पता नहीं चल पाया कि आगंतुकों के बीच झड़प कैसे हुई, लेकिन कुछ लोगों ने कहा कि यात्रा में देरी के कारण भाजपा और एमवीए के लोग एक के बाद एक प्रवेश कर गए. नारेबाजी, आक्रामक मुद्रा और तीखी नोकझोंक के बीच कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच कुछ मामूली झड़पें हुईं, जो स्पष्ट रूप से अप्रत्याशित थीं और उन्हें अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा. राणे और उनके बेटे ने मांग की कि पहले बाहरी लोगों को जाने के लिए कहा जाए. एमवीए, खासकर शिवसेना (यूबीटी) समर्थकों ने इसका विरोध किया. पुलिस और समर्थकों द्वारा अलग किए गए प्रतिद्वंद्वी पक्षों को राज्य एनसीपी प्रमुख जयंत पाटिल ने विश्वास में लिया, जिन्होंने मामले को और खराब होने से पहले एक रास्ता निकालने के लिए मध्यस्थता की. कुछ घंटों के बाद, ठाकरे को जाने दिया गया. उन्होंने और अन्य एमवीए नेताओं ने मूर्ति की घटना की निंदा करने के लिए एक रैली को संबोधित किया.


राणे और ठाकरे के बीच प्रतिद्वंद्विता 20वीं सदी के आखिरी दशक से चली आ रही है. अविभाजित शिवसेना के पूर्व सीएम करीब 20 साल पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे. वह अब भाजपा का हिस्सा हैं. कोंकण के निचले क्षेत्र मालवन में राजनीतिक हिंसा कोई नई बात नहीं है. बुधवार की घटना, अगर सौहार्दपूर्ण ढंग से समाप्त नहीं होती, तो शीर्ष नेताओं की मौजूदगी के कारण सबसे खराब हो सकती थी.


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