होम > मुंबई > मुंबई न्यूज़ > आर्टिकल > सुरेशचंद्र राजहंस की मांग, स्कूल बस फीस बढ़ोतरी पर सरकार लगाए रोक

सुरेशचंद्र राजहंस की मांग, स्कूल बस फीस बढ़ोतरी पर सरकार लगाए रोक

Updated on: 10 February, 2025 09:43 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

महाराष्ट्र में स्कूल बस फीस में 18% बढ़ोतरी से अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. ढ़ती महंगाई के बीच यह फैसला अभिभावकों के लिए एक और मुश्किल खड़ी कर रहा है.

X/Pics

X/Pics

देशभर में बढ़ती महंगाई से आम लोग पहले ही त्रस्त हैं. रोजमर्रा के खर्चों में बढ़ोतरी ने आमदनी और खर्चों के संतुलन को बिगाड़ दिया है. मध्यम वर्ग भी इस बढ़ती महंगाई की चपेट में आ चुका है. अब इस महंगाई की लहर को और तेज करते हुए स्कूल बस मालिकों ने 2025 के शैक्षणिक वर्ष के लिए बस फीस में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का फैसला किया है. इस फैसले ने पहले से आर्थिक बोझ झेल रहे अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है.

अभिभावकों पर दोहरी मार


एक ओर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें आम जनता की जेब पर भारी पड़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर स्कूल बस मालिक इसी को बहाना बनाकर अभिभावकों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं. मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में कई बस ऑपरेटर बेतहाशा शुल्क बढ़ाकर अभिभावकों को लूट रहे हैं. इतना ही नहीं, भारी भरकम शुल्क वसूलने के बावजूद बसों में बच्चों को गुंजाइश से ज्यादा ठूंसकर भरा जाता है, जिससे उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है.


सरकार द्वारा स्कूल बसों के लिए बनाए गए सुरक्षा मानकों और दिशा-निर्देशों का धड़ल्ले से उल्लंघन हो रहा है. अधिकतर बसों में सुरक्षा उपकरणों की कमी देखी जाती है, लेकिन प्रशासन इस ओर आंखें मूंदे बैठा है. स्कूल केवल 10 महीने चलता है, लेकिन बस फीस पूरे 12 महीने की वसूली जाती है, जिससे अभिभावकों का आर्थिक बोझ और बढ़ जाता है. यदि कोई माता-पिता इस मुद्दे को उठाने की कोशिश करें, तो उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है.

सरकार और प्रशासन की लापरवाही


इस गंभीर स्थिति को देखते हुए महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेश चंद्र राजहंस ने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग और परिवहन विभाग को औचक छापेमारी कर स्कूल बसों की जांच करनी चाहिए.

इसके अलावा, जो बस ऑपरेटर सरकारी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, उनकी बसों का परमिट और लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द किया जाना चाहिए. अभिभावकों को लूटने और बच्चों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वाले बस मालिकों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी लूट-खसोट पर रोक लगाई जा सके.

महंगाई से जूझ रही जनता के लिए स्कूल बस किराए में यह वृद्धि एक और आर्थिक बोझ की तरह है. सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर बस मालिकों पर नियंत्रण लगाना होगा. नहीं तो अभिभावकों की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं, जिससे आम जनता का रोष और सरकार के प्रति असंतोष बढ़ सकता है. अब देखना यह है कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है या फिर इसे भी अनदेखा कर दिया जाएगा.

अन्य आर्टिकल

फोटो गेलरी

रिलेटेड वीडियो

This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK