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अवैध किडनी रैकेट का शिकार: कर्ज तले दबे युवक और पत्नी से ज़बरदस्ती किडनी दान कराने का सनसनीखेज मामला

Updated on: 01 October, 2024 08:53 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

इस अवैध अंग व्यापार का नेटवर्क बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता में सक्रिय है और एजेंट कमीशन पर काम करते हैं.

Story by: Diwakar Sharma , Faisal Tandel

Story by: Diwakar Sharma , Faisal Tandel

मध्य प्रदेश के 28 वर्षीय एक युवक की कहानी अवैध अंग व्यापार के खतरनाक जाल का खुलासा करती है. कर्ज में डूबा यह युवक, जिसे परिवार का कर्ज चुकाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था, ने मिड-डे को बताया कि उसके पास बेचने के लिए केवल एक मूल्यवान चीज बची थी – उसकी किडनी. युवक को कोलकाता में किडनी बेचने का वादा किया गया था, लेकिन वहां पहुँचने के बाद उसे धोखा दिया गया और बंधक बना लिया गया. उसके साथ उसकी पत्नी को भी किडनी देने के लिए मजबूर किया गया.

युवक ने बताया कि जब वह किडनी की बीमारी से जूझ रहे एक परिचित के साथ डायलिसिस के लिए अस्पताल गया, तब उसे यह ख्याल आया. फेसबुक पर बी+ रक्तदाता की तलाश की एक पोस्ट देखकर उसने एक एजेंट, रिया तिवारी से संपर्क किया. 7 लाख रुपये का वादा करके, युवक 5 फरवरी 2023 को कोलकाता पहुँचा. उसे एक फ्लैट में रखा गया, जहाँ 15 अन्य लोग भी थे. इस पूरे ऑपरेशन का प्रबंधक जयेश पटेल था, जो प्रतिदिन चाय और पान मसाला के लिए 30 रुपये देता था और दानकर्ताओं को राशन मुहैया कराता था, जिसे उन्हें खुद बनाना पड़ता था.


कुछ दिनों बाद, वसीम अकरम नामक एक व्यक्ति ने उसका इंटरव्यू लिया और यात्रा के लिए 1,500 रुपये दिए. उसने उसका आधार, पैन कार्ड और पासपोर्ट ले लिया. मार्च में, किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत वाले प्राप्तकर्ता रंजना तिवारी और उनके पति कोलकाता पहुंचे. इसके बाद, युवक का आधार कार्ड बदलवाया गया और उसे एक फर्जी पत्र दिया गया, जिसमें उसकी पहचान उदय यादव के रूप में की गई. रैकेट के लोगों ने जोर देकर कहा कि वह अपने बदले हुए पहचान दस्तावेजों को याद कर ले और ऑपरेशन के दौरान खुद को उस पहचान के रूप में प्रस्तुत करे.


इस अवैध अंग व्यापार का नेटवर्क बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद और कोलकाता में सक्रिय है और एजेंट कमीशन पर काम करते हैं. यह रैकेट गरीबों को निशाना बनाकर उन्हें अंग बेचने के लिए मजबूर करता है, जो एक बार फंसने के बाद इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं देख पाते. युवक और उसकी पत्नी इस भयावह स्थिति के बावजूद अधिकारियों से संपर्क करने में असमर्थ हैं, क्योंकि उनके सभी आधिकारिक दस्तावेज रैकेट के कब्जे में हैं और उन्हें बदला जा चुका है.


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