स्थानीय लोगों का कहना है कि यह दुर्घटना पूरी तरह से लापरवाही और अव्यवस्थित निर्माण कार्य का नतीजा है.
अधिकारियों को पहले से ही कमजोर पेड़ों का आकलन करना चाहिए था, लेकिन उनकी अनदेखी का खामियाजा अब आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है.
पेड़ गिरते ही घर में अफरा-तफरी मच गई. नीला अतुल पारेख और उनके परिवार के सदस्य किसी तरह सुरक्षित बच गए, लेकिन मानसिक आघात से उबरना उनके लिए आसान नहीं होगा.
खिड़की का शीशा पूरी तरह चकनाचूर हो गया और घर के अंदर भी नुकसान हुआ. सौभाग्य से, कोई शारीरिक चोट नहीं आई, लेकिन इस घटना ने पूरे इलाके में चिंता की लहर दौड़ा दी है.
मनमाला टैंक रोड के आसपास के रहवासियों ने पहले भी निर्माण कार्य की अनियमितताओं की शिकायत की थी, लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
यह हादसा उसी लापरवाही का सबूत है. स्थानीय लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर इस पेड़ के गिरने से कोई बड़ा हादसा हो जाता तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेता?
पारेख परिवार ने इस घटना पर कड़ी नाराजगी जताई है और प्रशासन से मुआवजे और ठोस कार्रवाई की मांग की है.
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि जल्द से जल्द उचित उपाय नहीं किए गए, तो भविष्य में और भी खतरनाक घटनाएं हो सकती हैं.
मुंबई में बिना उचित प्लानिंग और सुरक्षा उपायों के चल रहे निर्माण कार्य कई लोगों के लिए खतरा बनते जा रहे हैं.
यह हादसा केवल एक चेतावनी है कि यदि समय रहते प्रशासन नहीं जागा, तो अगली बार कोई बड़ी जनहानि भी हो सकती है.
अब सवाल यह उठता है कि क्या अधिकारी इस घटना से कोई सबक लेंगे या फिर इसे भी नजरअंदाज कर दिया जाएगा?
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