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महापरिनिर्वाण दिवस पर मुख्यमंत्री फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने डॉ. अंबेडकर को दी श्रद्धांजलि
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Devendra Fadnavis, Eknath Shinde, Ajit Pawar pay tribute to Dr Ambedkar: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने 6 दिसंबर को 69वें महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर भारतीय संविधान के निर्माता और महान समाज सुधारक डॉ. भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की. देखें तस्वीरें- (Pics/ Eknath Shinde and Ajit Pawar`s teams)
Updated on : 06 December, 2024 05:04 IST | Ujwala Dharpawar
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महापरिनिर्वाण दिवस पर चैत्यभूमि, मुंबई में लाखों अनुयायी एकत्र हुए, जो डॉ. अंबेडकर के विचारों और संघर्ष को याद करते हुए उन्हें सम्मान देने आए थे.
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महापरिनिर्वाण दिवस हर साल डॉ. बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है. 14 अप्रैल, 1891 को जन्मे अंबेडकर भारतीय सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक इतिहास में एक प्रमुख व्यक्तित्व थे.
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उन्होंने दलितों और अन्य वंचित वर्गों के खिलाफ होने वाले सामाजिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए अथक संघर्ष किया.
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अंबेडकर महिलाओं और श्रमिकों के अधिकारों के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने अपने जीवन को समानता और न्याय के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए समर्पित किया.
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डॉ. अंबेडकर को उनके अनुयायियों द्वारा प्यार से ‘बाबासाहेब’ कहा जाता है. वे न केवल भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार थे, बल्कि एक महान विचारक, लेखक और समाज सुधारक भी थे. उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाकर जाति व्यवस्था के खिलाफ एक मजबूत सामाजिक संदेश दिया.
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महापरिनिर्वाण दिवस केवल अंबेडकर की पुण्यतिथि तक सीमित नहीं है; यह उनकी परिवर्तनकारी विचारधारा और समता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के आदर्शों का उत्सव भी है.
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यह दिन भारतीय समाज के पुनर्निर्माण में उनके योगदान को याद करने का एक अवसर प्रदान करता है.
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बौद्ध ग्रंथों में, "महापरिनिर्वाण" शब्द का अर्थ "मृत्यु के बाद निर्वाण" है. यह शब्द उस मुक्ति को दर्शाता है जो व्यक्ति को जन्म और मृत्यु के चक्र से छुटकारा दिलाती है.
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डॉ. अंबेडकर ने भी बौद्ध धर्म के इन्हीं सिद्धांतों को आत्मसात किया और उन्हें अपने अनुयायियों के बीच प्रचारित किया. महापरिनिर्वाण दिवस पर चैत्यभूमि में आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यह प्रमाणित करती है कि डॉ. अंबेडकर की विचारधारा आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है. यह दिन न केवल उन्हें श्रद्धांजलि देने का, बल्कि उनके दिखाए मार्ग पर चलने और समाज में समता और न्याय स्थापित करने की प्रतिज्ञा लेने का अवसर है.
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