लश्कर-ए-तैयबा के दस आतंकवादियों ने समुद्री मार्ग से मुंबई में घुसकर इस कायरतापूर्ण हमले को अंजाम दिया. (Pic/ Anurag Ahire)
इस दिन को मुंबई हमलों के पीड़ितों और शहीदों की श्रद्धांजलि के रूप में मनाया जाता है, और यह हमले की याद दिलाता है, जिनसे न केवल भारत बल्कि समूचे विश्व की सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की दिशा प्रभावित हुई.
इन आतंकवादियों ने शहर के प्रमुख और सबसे व्यस्त स्थानों पर हमला किया, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस, ताज महल होटल, Oberoi Trident होटल और नरीमन हाउस शामिल थे.
ये आतंकवादी घातक हथियारों से लैस थे और उनका मकसद महज हत्या और तबाही फैलाना था. इन हमलों में आतंकवादियों ने करीब 60 घंटे तक इन स्थानों पर घेराबंदी की, और इस दौरान वे सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान लेने में सफल रहे.
इस हमले में 166 लोग शहीद हो गए, जिनमें भारतीय नागरिक, विदेशी पर्यटक और सुरक्षा बलों के जवान शामिल थे. इसके अलावा, सैकड़ों लोग घायल हो गए, जिनमें कई गंभीर रूप से घायल हुए.
आतंकवादी हमले के इस काले दिन ने भारतीय समाज को न केवल शोक और पीड़ा दी, बल्कि सुरक्षा और आतंकवाद के प्रति हमारी चेतना को भी जागरूक किया.
इन हमलों ने यह भी सिद्ध किया कि आतंकवाद कोई सीमा या राष्ट्रीयता नहीं देखता, और इसके खिलाफ सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है.
मुंबई हमले के बाद, भारत ने आतंकवाद से लड़ने के लिए अपनी सुरक्षा नीतियों को पुनः समीक्षा की और कई महत्वपूर्ण क़ानूनी और सुरक्षा सुधार किए. आज भी, 26 नवंबर के दिन हमें उन शहीदों की याद दिलाई जाती है, जिन्होंने अपनी जान की बाजी लगाकर हमलों के खिलाफ संघर्ष किया.
मुंबई हमलों का यह काला दिन न केवल मुंबई, बल्कि पूरे देश की एकता और साहस का प्रतीक बन चुका है.
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