विरोध जताते हुए आदित्य ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस पर जमकर हमला बोला.
उन्होंने कहा, “नारे लगाना बंद करें और काम शुरू करें. इस शहर को भाषण नहीं, पानी चाहिए. फड़णवीस सरकार ने एक बार मोर्चा निकाला था और नियमित जलापूर्ति का वादा किया था, पर वह अभी तक पूरा नहीं हुआ.”
ठाकरे ने सरकार पर सांप्रदायिक राजनीति और नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि नेता आपस में उलझे हुए हैं, जबकि आम जनता पानी की किल्लत से जूझ रही है.
उन्होंने पुलिस और कानून व्यवस्था पर भी कटाक्ष किया और कहा कि अगर सरकार अपराध रोकना चाहती है तो पुलिस को स्वतंत्रता देनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा.
साथ ही ठाकरे ने महिलाओं और किसानों के प्रति सरकार की उदासीनता को भी घेरा. उन्होंने कहा, “यह सरकार महिलाओं को धोखा दे रही है और आत्महत्या कर चुके किसानों की विधवाओं को न्याय नहीं दे पा रही.”
आंदोलन में शामिल कई महिलाएं खाली बर्तन लेकर नारेबाजी करती दिखाई दी.
ठाकरे ने स्पष्ट किया कि जब तक सरकार जल आपूर्ति के लिए स्पष्ट समयसीमा नहीं बताएगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
उन्होंने फड़णवीस से इस्तीफे की भी मांग की और कहा, “अगर आप अपने वादे पूरे नहीं कर सकते तो इस्तीफा दें.”
पिछले 34 दिनों से चल रहे इस आंदोलन ने शहर में जल संकट की गंभीरता को बेझिझक सामने ला दिया है.
‘लबाडांनो पाणी द्या!’ आंदोलन ने छत्रपति संभाजीनगर के लोगों की आवाज को मजबूती से उठाते हुए सरकार को सख्त चेतावनी दी है कि जब तक नियमित और पर्याप्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं होती, संघर्ष जारी रहेगा.
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