होम > न्यूज़ > नेशनल न्यूज़ > आर्टिकल > गुजरात के भव्य लक्ष्मी विलास पैलेस में हुआ 14वें अंतर्राष्ट्रीय विरासत पर्यटन के सम्मेलन का आयोजन

गुजरात के भव्य लक्ष्मी विलास पैलेस में हुआ 14वें अंतर्राष्ट्रीय विरासत पर्यटन के सम्मेलन का आयोजन

Updated on: 27 July, 2025 12:35 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

इस सम्मेलन में पीएचडीसीसीआई (पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री), भारतीय पर्यटन मंत्रालय, गुजरात पर्यटन, आईआरसीटीसी और इंडिगो की उपस्थिति रही.

14वें अंतर्राष्ट्रीय विरासत पर्यटन सम्मेलन के प्रतिभागी

14वें अंतर्राष्ट्रीय विरासत पर्यटन सम्मेलन के प्रतिभागी

गुजरात के वडोदरा स्थित लक्ष्मी विलास पैलेस, दुनिया के कई अन्य महलों की तरह, विश्व भर में प्रसिद्ध है. इस महल की खासियत यह है कि यह इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस से चार गुना बड़ा है. शुक्रवार, 25 जुलाई को, सांस्कृतिक विरासत की गूंज से सराबोर इस भव्य लक्ष्मी विलास पैलेस के प्रांगण में 14वें अंतर्राष्ट्रीय विरासत पर्यटन सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया. इस सम्मेलन में पीएचडीसीसीआई (पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री), भारतीय पर्यटन मंत्रालय, गुजरात पर्यटन, आईआरसीटीसी और इंडिगो की उपस्थिति रही.

`विकास के इंजन के रूप में सांस्कृतिक विरासत` विषय पर आयोजित इस अनूठे सम्मेलन में पर्यटन विशेषज्ञ, संरक्षण वास्तुकार, सरकारी अधिकारी, इतिहासकार, राजपरिवार के सदस्य, पाककला विशेषज्ञ और विभिन्न उद्योगों के प्रमुख शामिल हुए और उन्होंने पूरे भारत में विरासत पर्यटन को बढ़ावा देने पर चर्चा में उत्साहपूर्वक भाग लिया. इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर विरासत पर्यटन को विकसित करने के नए तरीके खोजना था, साथ ही भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को स्थायी रूप से संरक्षित करना, उसे मजबूत और आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाना और आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी बनाना था.


पर्यटन, नागरिक उड्डयन एवं तीर्थयात्रा सचिव, श्री राजेंद्र कुमार (आईएएस) ने कहा, “आज़ादी के समय गुजरात में रियासतों की संख्या सबसे ज़्यादा थी, जिसके परिणामस्वरूप राज्य में आज भी बड़ी संख्या में किले, महल और विरासत संपत्तियाँ मौजूद हैं. हालाँकि, इनका समुचित उपयोग पर्यटन, संरक्षण और संवर्धन के लिए पर्याप्त नहीं है. वर्तमान में, हम ऐसे ऐतिहासिक स्थलों के आसपास नई अनुभवात्मक गतिविधियों की योजना बना रहे हैं, ताकि इन संपत्तियों को पुनर्जीवित किया जा सके, पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके, स्थानीय समुदाय के लिए रोज़गार के अवसर पैदा किए जा सकें और पारंपरिक शिल्पकला को एक नई पहचान मिल सके.” इसके साथ ही, गायकवाड़ राजवंश के वंशज और बड़ौदा के सम्मानित महाराजा समरजीतसिंह गायकवाड़ ने भी आने वाली पीढ़ी के लिए विरासत को जीवंत रूप से संरक्षित करने के विषय पर चर्चा की.


इस अवसर पर, भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के श्री मोहम्मद फ़ारूक़ ने कहा, “हम स्वदेश दर्शन 2.0 और प्रसाद जैसी योजनाओं के माध्यम से भारतीय विरासत को पुनः प्रस्तुत कर रहे हैं.” लेखक और यात्रा-लेखक अनिल मूलचंदानी ने विरासत की असली ताकत पर प्रकाश डालते हुए कहा, "जब कहानियाँ, सामुदायिक भागीदारी और उचित बुनियादी ढाँचा एक साथ आते हैं, तो गुजरात मॉडल एक ऐसा खाका बन जाता है जो स्थानीय कहानियों को वैश्विक प्रासंगिकता प्रदान करता है और एक प्रेरणादायक परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है."

सम्मेलन में `पीएचडीसीसीआई-केपीएमजी हेरिटेज टूरिज्म रिपोर्ट` का भी विमोचन किया गया, जिसमें विरासत स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर ध्यान केंद्रित किया गया. अन्य सत्रों में, भारत की सांस्कृतिक विरासत, विशेष रूप से शेखावाटी हवेलियों, चंपानेर-पावागढ़ राजवी जैसी प्रत्येक राज्य की शानदार प्रतिबद्धता, विरासत वास्तुकला, 3डी तकनीक के माध्यम से विरासत का संरक्षण, पुराने वाहनों के अनुभवात्मक पर्यटन मॉडल कैसे बनाएँ, दुनिया भर में भारतीय व्यंजनों का प्रतिनिधित्व कैसे बढ़ाएँ, और कई सामाजिक-सांस्कृतिक संबंधों जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई. इसके अलावा, 25 से अधिक बी2बी बैठकों के माध्यम से उद्योग के बीच सहयोग बढ़ाने के प्रयास किए गए.


"संस्कृति की संरक्षक के रूप में महिलाएँ" विषय पर, बड़ौदा की महारानी राधिकाराजे गायकवाड़ और राजकोट की महारानी कादंबरीदेवी जडेजा ने शिल्प, मौखिक परंपरा और आतिथ्य संस्कृति के संरक्षण में महिलाओं के योगदान पर ज़ोर दिया. पद्मश्री प्रो. पुष्पेश पंत, शेफ मंजीत गिल और डॉ. कुरुश दलाल ने भारतीय व्यंजनों को सांस्कृतिक विरासत बताते हुए एक आह्वान प्रस्तुत किया. कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण शेफ प्रीतेश राउत द्वारा विशेष रूप से तैयार की गई `गुजराती थाली` थी, जिसने पौराणिक और सांस्कृतिक पहलुओं की एक विशेष झलक पेश की. कार्यक्रम का समापन लक्ष्मी विलास पैलेस में आयोजित एक हेरिटेज वॉक के साथ हुआ, जहाँ विभिन्न संस्कृतियों और हेरिटेज पर्यटन पर चर्चा के माध्यम से भारतीय संस्कृति के गौरव को विभिन्न दृष्टिकोणों से उजागर किया गया.

अन्य आर्टिकल

फोटो गेलरी

रिलेटेड वीडियो

This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK