Updated on: 04 August, 2025 09:47 AM IST | Mumbai
Archana Dahiwal
घटना के बाद नगर आयुक्त नवल किशोर राम ने चिड़ियाघर के दो वरिष्ठ अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. यह मामला चिड़ियाघर में पशु देखभाल और प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े करता है.
Pic/By Special Arrangement
पुणे नगर आयुक्त नवल किशोर राम ने राजीव गांधी प्राणी उद्यान के दो वरिष्ठ अधिकारियों को 17 चित्तीदार हिरणों की मौत के बाद कारण बताओ नोटिस जारी किया है. इन हिरणों की मौत खुरपका-मुँहपका रोग (एफएमडी) से होने की पुष्टि हुई है.
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ये हिरण पीएमसी द्वारा संचालित चिड़ियाघर में 99 हिरणों के झुंड का हिस्सा थे. ये मौतें 7 से 12 जुलाई के बीच हुईं, जिससे प्रकृति प्रेमियों और आगंतुकों में चिंता बढ़ गई है. इस घटना ने पशु देखभाल की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जबकि पीएमसी चिड़ियाघर के रखरखाव और वन्यजीव कल्याण के लिए सालाना बड़ी धनराशि आवंटित करता है
भुवनेश्वर स्थित राष्ट्रीय खुरपका-मुँहपका रोग केंद्र द्वारा की गई एक विस्तृत जाँच में एफएमडी की उपस्थिति की पुष्टि हुई है, जो एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो मवेशी, सूअर, बकरी, भेड़ और हिरण जैसे दो खुर वाले जानवरों को प्रभावित करता है.
चिड़ियाघर के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. घनश्याम पवार ने मिड-डे को बताया, "खुरपका-मुँहपका रोग एक गंभीर वायरल संक्रमण है. इससे बुखार और मुँह, जीभ, होठों, खुरों के बीच और थनों पर दर्दनाक घाव हो जाते हैं."
इस बीमारी की पुष्टि के बाद, आयुक्त राम ने चिड़ियाघर की नियमित देखभाल और आपातकालीन प्रतिक्रिया में संभावित खामियों पर चिंता जताई. उद्यान अधीक्षक और चिड़ियाघर निदेशक को कारण बताओ नोटिस जारी कर चार दिनों के भीतर खामियों का स्पष्टीकरण देने को कहा गया है.
वायरल प्रकोप के अलावा, नगर निकाय जानवरों के पोषण और दैनिक देखभाल में संभावित लापरवाही की भी जाँच कर रहा है. अधिकारी इस बात की जाँच कर रहे हैं कि क्या दिया गया चारा उचित था और क्या निवारक चिकित्सा प्रोटोकॉल लागू थे.
चिड़ियाघर में 83 हिरण बचे हैं. अधिकारियों ने कहा कि यह इस तरह की पहली घटना है और केवल चित्तीदार हिरण ही इससे प्रभावित हुए हैं. शुरुआती लक्षणों में कुछ जानवरों में भूख कम लगना और फिर अचानक मौत हो जाना शामिल था.
इससे पहले, पीएमसी ने मृत पशुओं के नमूने कई प्रयोगशालाओं को भेजे थे, जिनमें राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (भोपाल), भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (बरेली), क्षेत्रीय वन्यजीव अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र प्रयोगशाला (नागपुर), रोग अन्वेषण अनुभाग प्रयोगशाला (पुणे), और अंतर्राष्ट्रीय खुरपका-मुँहपका रोग केंद्र (भुवनेश्वर) शामिल हैं.
भोपाल प्रयोगशाला की रिपोर्ट नकारात्मक आई, जबकि भुवनेश्वर संस्थान ने एफएमडी को कारण बताया. नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि आगे की कार्रवाई चिड़ियाघर अधिकारियों से प्राप्त प्रतिक्रिया पर निर्भर करेगी.
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