Updated on: 17 June, 2025 06:24 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
एसजीपीसी के अधिकारी हरभजन सिंह वक्ता ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले और 7 मई को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद स्थिति के कारण यह निर्णय लिया गया है.
प्रतीकात्मक छवि.
भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा स्थिति पर जोर देते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने मंगलवार को घोषणा की कि इस साल महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि मनाने के लिए कोई भी सिख तीर्थयात्री समूह पड़ोसी देश की यात्रा नहीं करेगा. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार एसजीपीसी के अधिकारी हरभजन सिंह वक्ता ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले और 7 मई को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा कूटनीतिक स्थिति के कारण यह निर्णय लिया गया है.
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रिपोर्ट के मुताबिक वक्ता ने कहा, "हर साल, एसजीपीसी धार्मिक यात्राओं के लिए सिख तीर्थयात्रियों के एक समूह को पाकिस्तान भेजती है. इनमें से एक यात्रा महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के लिए है, जो 29 जून को वहां मनाई जाती है. इस साल, हमने पाकिस्तान जाने के लिए मंजूरी के लिए पासपोर्ट का एक बैच दिल्ली भेजा था. लेकिन अब, एसजीपीसी ने समूह को नहीं भेजने का फैसला किया है. हमारे सचिव ने कल आधिकारिक तौर पर इस फैसले की घोषणा की. दोनों देशों के बीच मौजूदा स्थिति के कारण, इस बार समूह को नहीं भेजा जाएगा".
वक्ता ने कहा, "हमने इस यात्रा के लिए पाकिस्तान को 249 पासपोर्ट आवेदन भेजे थे. चूंकि यात्रा अब रद्द हो गई है, इसलिए ये पासपोर्ट 20 जून के बाद वापस कर दिए जाएंगे. लोग उस तिथि के बाद हमारे यात्रा विभाग से अपने पासपोर्ट ले सकते हैं." रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल, पाकिस्तान ने महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि में शामिल होने के लिए भारत से सिख तीर्थयात्रियों को 509 वीजा जारी किए थे. अंतरिम समिति के सदस्य खुशविंदर सिंह भाटिया के नेतृत्व में, 317 तीर्थयात्रियों वाले प्रतिनिधिमंडल को इस आध्यात्मिक यात्रा के लिए भेजा गया था. भारत सहित दुनिया भर के सिख तीर्थयात्रियों के अलावा, अन्य देशों के पर्यटक गुरुद्वारा करतारपुर साहिब आते हैं.
महाराजा रणजीत सिंह 19वीं सदी में सिख साम्राज्य के पहले राजा थे. रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें लोकप्रिय रूप से `शेर-ए-पंजाब` के नाम से जाना जाता है. महाराजा रणजीत सिंह का जन्म 13 नवंबर, 1780 को बुदरूखान या गुजरांवाला (अब पाकिस्तान में) में हुआ था और 27 जून, 1839 को लाहौर (अब पाकिस्तान में) में उनकी मृत्यु हो गई थी. सिख मान्यताओं के अनुसार, उन्होंने 40 साल तक पंजाब पर शासन किया. ऐसा कहा जाता है कि महाराजा रणजीत सिंह ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और लाहौर पर भी विजय प्राप्त की. इसके अलावा, उनके समय में धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया गया, क्योंकि उनके कई महत्वपूर्ण मंत्री मुस्लिम थे.
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