Updated on: 16 May, 2025 05:15 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि हाल ही में आतंकवाद विरोधी बलों ने पिछले तीन दिनों में छह आतंकवादियों को मार गिराया है.
प्रतीकात्मक तस्वीर. फोटो/पीटीआई
भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के कारण घाटी में हालात शांतिपूर्ण नहीं लग रहे हैं. 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा बलों ने अपने आतंकवाद विरोधी अभियानों का ध्यान दक्षिण कश्मीर के खास इलाकों पर केंद्रित कर दिया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि हाल ही में आतंकवाद विरोधी बलों ने पिछले तीन दिनों में छह आतंकवादियों को मार गिराया है.
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रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) ने कहा कि "सुरक्षा एजेंसियों ने पिछले महीने आतंकी गतिविधियों के मद्देनजर स्थिति के अनुसार अपनी रणनीति की समीक्षा की और हमारा पूरा ध्यान अभियानों पर है." आईजीपी दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में विक्टर फोर्स के मुख्यालय में जनरल ऑफिसर कमांडिंग विक्टर फोर्स मेजर जनरल धनंजय जोशी के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. पुलवामा और घाटी के अन्य क्षेत्रों में शांति और आतंकवाद विरोधी अभियान सुनिश्चित करने के लिए बल विशेष सावधानी बरत रहे हैं.
आईजीपी वी.के. बिरदी ने कहा कि विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच गहन ध्यान और समन्वय के कारण दो सफल अभियान चलाए गए हैं, जिसमें कुल छह आतंकवादियों को मार गिराया गया है. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने उनके खात्मे को "महत्वपूर्ण उपलब्धि" बताया. आईजीपी ने आगे कहा, "ये सफल ऑपरेशन सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय और तालमेल के कारण संभव हो पाए. कश्मीर में किसी भी आतंकी गतिविधि को खत्म करना हमारा कर्तव्य है और हम ऐसी हरकतों को रोकने के लिए हमेशा तैयार हैं." स्थिति के बारे में अधिक जानकारी देते हुए, मुठभेड़ें क्रमशः मंगलवार और गुरुवार को शोपियां के केलर इलाके और पुलवामा में त्राल के नादर इलाके में हुईं. घाटी में दो ऑपरेशनों में तीन-तीन आतंकवादी मारे गए. विक्टर फोर्स के जीओसी मेजर जोशी ने कहा कि सुरक्षा बलों ने कई क्षेत्रों को अपना मुख्य फोकस बनाया है.
पहलगाम आतंकी हमले के तुरंत बाद, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी, सुरक्षा बलों ने कई क्षेत्रों को फोकस क्षेत्र बनाया और तब से वे काफी सक्रियता से काम कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा, "हमें खुफिया जानकारी मिली थी कि बर्फ पिघलने के बाद आतंकवादी ऊंचे इलाकों में चले गए हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, हमारे डोमिनेशन दलों को लगातार ऊंचे इलाकों, पहाड़ी इलाकों और जंगलों में तैनात किया गया था." रिपोर्ट के मुताबिक मेजर जोशी ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों को 12 मई की रात शोपियां के केलर इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में खुफिया इनपुट मिला था. उन्होंने कहा, "इसलिए वहां कुछ समय के लिए तैनात किए गए वर्चस्व दल ने खुद को स्थानांतरित कर लिया और एक केंद्रित तरीके से क्षेत्र को बंद कर दिया. उन्होंने उन आतंकवादियों को चुनौती दी जिन्होंने उन पर गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप एक मुठभेड़ हुई जिसमें तीन आतंकवादी मारे गए."
त्राल मुठभेड़ को संबोधित करते हुए, जीओसी ने कहा कि ऑपरेशन एक अलग इलाके में हुआ था. उन्होंने कहा, "हमें इनपुट मिला था और हमने गांव को घेर लिया था. आतंकवादियों ने अलग-अलग घरों में पोजिशन ले ली और गोलीबारी की. हमारी चुनौती बच्चों सहित निर्दोष नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालना था. फिर घरों में एक-एक करके व्यवस्थित तलाशी ली गई और तीन आतंकवादियों को अलग-अलग जगहों पर मार गिराया गया." मेजर जोशी के अनुसार, यह तथ्य कि दोनों ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए गए थे, यह दर्शाता है कि सुरक्षा बल आतंकवादियों और संगठन के अन्य सदस्यों को ढूंढ लेंगे, चाहे वे कहीं भी हों और उन्हें खत्म कर देंगे. घाटी में बड़े हमलों में प्रमुख भागीदार शाहिद कुट्टे मारे गए छह आतंकवादियों में से एक था. वह सबसे महत्वपूर्ण अपराधियों में से एक था.
पिछले साल 18 मई को शोपियां के हीरपोरा में एक सरपंच पर हुआ हमला भी इनमें से एक था. उसी साल 8 अप्रैल को डेनिश रिसॉर्ट में हुई गोलीबारी की घटना को अंजाम देने में भी उसने अहम भूमिका निभाई थी, जिसके परिणामस्वरूप दो जर्मन पर्यटक और एक ड्राइवर घायल हो गए थे. उन्होंने कहा, "कुट्टे धन उगाही और अन्य गतिविधियों में भी शामिल था." मेजर जोशी ने कहा कि दोनों मॉड्यूल के निष्प्रभावी होने से आतंकी संगठनों को झटका लगा है और इससे यहां आतंकी गतिविधियों को रोकने और शांति लाने में मदद मिलेगी.