Updated on: 26 August, 2025 10:01 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
असम के मुख्यमंत्री का यह आदेश जिले में सांप्रदायिक अशांति के बाद आया है, जिससे पूरे क्षेत्र में भारी अराजकता फैल गई थी.
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा. फ़ाइल चित्र
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने धुबरी में रात में `देखते ही गोली मारने` के आदेश को बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि यह इलाका सांप्रदायिक अशांति का केंद्र बना हुआ है. ये आदेश पहली बार 13 जून को जारी किए गए थे और तब से लागू हैं. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार असम के मुख्यमंत्री का यह आदेश जिले में सांप्रदायिक अशांति के बाद आया है, जिससे पूरे क्षेत्र में भारी अराजकता फैल गई थी. मुख्यमंत्री का मानना है कि दुर्गा पूजा के दौरान भी जिले में सांप्रदायिक अशांति जारी रह सकती है. सरमा ने आगे कहा कि "धुबरी में सनातन धर्म के लोग अल्पसंख्यक हैं और कट्टरपंथियों से उनकी सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है."
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रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, "देखते ही गोली मारने के आदेश वापस नहीं लिए गए हैं और जारी रहेंगे." उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य सभी संसाधनों का उपयोग करके क्षेत्र में स्थिति को सामान्य बनाना है. सरमा ने आगे कहा, "धुबरी में कोई अशांति या हिंसा की घटना नहीं है, लेकिन दुर्गा पूजा के दौरान देखते ही गोली मारने के आदेश जारी रहेंगे."
भारत के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक, दुर्गा पूजा 28 सितंबर से 2 अक्टूबर तक मनाई जाएगी. रिपोर्ट के अनुसार असम के मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी, "धुबरी में अशांति फैलाने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे." सरमा ने 13 जून को धुबरी का दौरा किया था और घोषणा की थी कि बांग्लादेश की सीमा से लगे इस ज़िले में रात में देखते ही गोली मारने के आदेश लागू होंगे. उन्होंने कहा था कि एक सांप्रदायिक समूह अशांति फैलाने की कोशिश कर रहा है, जिसे सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी.
उन्होंने 10 दिन बाद फिर से ज़िले का दौरा किया और कहा कि 13 जून से अब तक 150 से ज़्यादा असामाजिक तत्वों को गिरफ़्तार किया गया है, जिनमें 11 राज्य के बाहर के हैं और जिनके ख़िलाफ़ मामले लंबित हैं. रिपोर्ट के मुताबिक बकरीद के अगले दिन, ज़िला मुख्यालय में हनुमान मंदिर के सामने एक गाय की खोपड़ी मिली, जिसके बाद हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के सदस्यों ने शांति और सद्भाव की अपील की. अगले दिन, मंदिर के सामने फिर से एक गाय का सिर रखा गया, जबकि पथराव की घटनाएँ सामने आईं.
इससे पहले, 8 जून को, सरमा ने कहा था कि बकरीद के दौरान कई जगहों पर कथित तौर पर अवैध रूप से मवेशियों का वध किया गया और मांस के कुछ हिस्से असम में कई जगहों पर फेंके गए. सरमा ने ज़ोर देकर कहा कि राज्य सरकार राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और सभी सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
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