स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस इलाके में रोज़ाना बड़ी संख्या में कबूतर जमा होते हैं, जिससे आसपास गंदगी और दुर्गंध फैलती है. (Pics: Satej Shinde)
कबूतरों की बीट और पंखों से निकलने वाले कणों से लोगों को सांस लेने में परेशानी होती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.
डॉक्टरों के अनुसार, लंबे समय तक इस तरह के माहौल में रहने से फेफड़ों की बीमारियाँ और एलर्जी का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा था कि सामूहिक रूप से कबूतरों को दाना डालना दंडनीय अपराध है और नगर निगम समेत स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे इस पर रोक लगाएँ.
लेकिन कांदिवली का यह मामला दिखाता है कि अभी भी कई लोग खुलेआम इस आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं.
नागरिक संगठनों का कहना है कि प्रशासन को ऐसे मामलों पर तुरंत जुर्माना लगाकर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
अगर इस तरह की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया गया तो मुंबई जैसे घनी आबादी वाले शहर में कबूतरों की बढ़ती संख्या और उनसे होने वाले स्वास्थ्य संकट को रोकना मुश्किल हो जाएगा.
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