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Shoe Attack on Chief Justice Gavai: मुख्य न्यायाधीश गवई पर हमला: प्रकाश आंबेडकर बोले- जातिवाद अब शहरों और संस्थानों तक पहुंच गया

Updated on: 08 October, 2025 11:29 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन. वी. भूषण गवई पर जूता फेंककर हमला करने की घटना ने देशभर में चिंता बढ़ा दी है.

X/Pics, Vanchit Bahujan Aaghadi

X/Pics, Vanchit Bahujan Aaghadi

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन. वी. भूषण गवई पर हाल ही में एक वकील ने जूता फेंककर हमला करने की कोशिश की, जिसे देशभर में गंभीर चिंता और निंदा का विषय माना जा रहा है. इस घटना के तुरंत बाद वंचित बहुजन आघाड़ी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि यह हमला केवल एक isolated घटना नहीं है, बल्कि इसके पीछे देश में फैली जाति आधारित घृणा का संकेत है.

आंबेडकर ने कहा कि भारत में जाति आधारित भेदभाव अब सिर्फ़ ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहा है. यह अब शहरों के दफ़्तरों, संस्थानों और संवैधानिक पदों तक पहुँच चुका है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर बैठे व्यक्ति को ही जाति के आधार पर निशाना बनाया जा सकता है, तो दलित आईएएस अधिकारियों, डॉक्टरों और सरकारी कर्मचारियों के लिए स्थिति कितनी भयावह हो सकती है, इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है.


प्रकाश आंबेडकर ने कहा, “जाति भेदभाव पहले केवल गांवों में खुले रूप में दिखाई देता था, लेकिन अब यह शहरों में मूक मुखौटे के साथ संस्थानों के भीतर भी मौजूद है. मुख्य न्यायाधीश गवई पर हुआ हमला यह दर्शाता है कि यह ज़हर अब संस्थानों की चार दीवारी से बाहर आ चुका है.”



उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समाज इस जातीय नफ़रत के उभार को गंभीरता से नहीं लेता, तो आने वाले समय में उच्च पदों पर बैठे दलित अधिकारियों और कर्मचारियों को भी इसी तरह के हमलों का सामना करना पड़ सकता है. प्रकाश आंबेडकर ने इस घटना को देश के संवैधानिक मूल्यों और सामाजिक न्याय के लिए एक गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता.

यह हमला केवल न्यायपालिका पर नहीं, बल्कि पूरे समाज पर सवाल खड़ा करता है कि क्या हम संवैधानिक पदों और संस्थानों में जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई कर रहे हैं. आंबेडकर ने सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संस्थाओं और नागरिकों से अपील की कि वे इस खतरे को समझें और जाति आधारित हिंसा और भेदभाव के खिलाफ ठोस कदम उठाएं.


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