Updated on: 08 October, 2025 02:19 PM IST | Mumbai
Samiullah Khan
मुंबई की बोरीवली मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 2014 में दर्ज छेड़छाड़ के एक मामले में 48 वर्षीय असद हुसैन शेख को दोषी ठहराया है. अदालत ने शेख को आईपीसी की धारा 354 के तहत एक साल के कठोर कारावास और ₹10,000 के जुर्माने की सजा सुनाई है.
Asad Hussain Shaikh. PIC/BY SPECIAL ARRANGEMENT
बोरीवली स्थित मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की 67वीं अदालत ने 48 वर्षीय असद हुसैन शेख को 2014 में एक महिला से छेड़छाड़ के मामले में दोषी ठहराया है. यह मामला कुरार पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
30 सितंबर को, मजिस्ट्रेट अभय घुगे ने शेख को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की गरिमा भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग) के तहत एक साल के कठोर कारावास और 10,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना अदा न करने पर, आरोपी को एक महीने के अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा होगी.
मामले की पृष्ठभूमि
सूत्रों के अनुसार, पीड़िता ने 23 दिसंबर, 2014 को एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शेख ने पिछली सुबह उसके साथ छेड़छाड़ की थी.
शिकायतकर्ता ने अपने बयान में कहा कि 22 दिसंबर की सुबह करीब 11 बजे, वह पठानवाड़ी बाज़ार में घरेलू सामान खरीदने गई थी, तभी आरोपी उसके पास आया, अश्लील टिप्पणियाँ कीं और उसके सीने और नितंबों को छुआ. वह सदमे और डर के मारे घर लौट आई.
उसी रात, जब उसका पति लौटा और उसे परेशान देखा, तो उसने उसे पूरी घटना बताई. दंपति ने अपने देवर के साथ मिलकर आरोपी की तलाश की और उसे ढूंढ निकाला. जब शेख का सामना हुआ, तो उसने कथित तौर पर उनके साथ दुर्व्यवहार किया और शिकायतकर्ता के पति के साथ हाथापाई की. शिकायतकर्ता द्वारा मदद के लिए चिल्लाने पर, आस-पास के निवासियों ने हस्तक्षेप किया और शेख को कुरार पुलिस स्टेशन ले जाया गया, जहाँ प्राथमिकी दर्ज की गई.
मुकदमा और अदालती कार्यवाही
मुंबई पुलिस की जाँच में गवाहों के बयान दर्ज करना और शेख के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 के तहत आरोप पत्र दाखिल करना शामिल था.
मुकदमे के दौरान, आरोपी ने सभी आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि शिकायतकर्ता के परिवार के साथ व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण उसे झूठा फंसाया गया है. उनके वकील ने कथित विरोधाभासों और स्वतंत्र गवाहों की कमी का हवाला देते हुए तर्क दिया कि घटना मनगढ़ंत थी.
हालांकि, अदालत ने पीड़िता की गवाही को सुसंगत, विश्वसनीय और घटनाक्रम से पुष्ट पाया. मजिस्ट्रेट ने कहा कि प्राथमिकी 24 घंटे के भीतर दर्ज की गई थी और पीड़िता के डर और भावनात्मक संकट को देखते हुए देरी उचित और स्वाभाविक थी.
अपराधी परिवीक्षा अधिनियम के तहत नरमी बरतने के बचाव पक्ष के तर्क को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने के अपराध की प्रकृति ऐसी रियायत की गारंटी नहीं देती.
यद्यपि अदालत ने अभियुक्त की पारिवारिक परिस्थितियों को स्वीकार किया, लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए, और शेख को भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत न्यूनतम एक वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई.
इस मामले की पैरवी लोक अभियोजक संदीप आंग्रे ने की और जाँच कुरार पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक संजीव तावड़े और पुलिस निरीक्षक नंदकिशोर क्षीरसागर की देखरेख में की गई.
जाँच का नेतृत्व सहायक पुलिस निरीक्षक रमेश कांबले ने किया, जिन्हें अदालती कार्यवाही के दौरान सहायक पुलिस निरीक्षक गावकर और पुलिस कांस्टेबल पंचाल व कुर्हाड़े ने सहयोग दिया. हेड कांस्टेबल सुरवाडे और पुलिस कांस्टेबल शेख ने समन, वारंट और दस्तावेज़ संबंधी कार्य संभाला.
ADVERTISEMENT