Updated on: 29 September, 2025 11:04 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
बीजेपी नेता केशव उपाध्ये ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को दशहरा सभा रद्द कर उसका खर्च बाढ़ पीड़ितों को देना चाहिए.
X/Pics, Keshav Upadhye
मराठवाड़ा में लगातार बारिश के चलते उत्पन्न बाढ़ की स्थिति के बीच राजनीतिक बयानबाजी तेज़ हो गई है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता केशव उपाध्ये ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री को दशहरा सभा रद्द कर उसका खर्च बाढ़ प्रभावित लोगों की मदद के लिए देना चाहिए.
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उपाध्ये ने कहा कि केवल दौरे और बयान देने से संवेदना व्यक्त नहीं होती. बाढ़ प्रभावित इलाकों में किसानों और ग्रामीणों की पीड़ा गंभीर है, इसलिए राजनीतिक नेताओं को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. उनके अनुसार, पीएम केयर फंड और अन्य सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल प्राथमिकता के साथ बाढ़ राहत के लिए होना चाहिए.
उध्दव ठाकरे यांनी दसरा मेळावा
— Keshav Upadhye (@keshavupadhye) September 29, 2025
रद्द करून तो खर्च पूरग्रस्ताना द्यावा !
मराठवाड्यातील पूरपरिस्थिती भयंकर आहे. लोकांच सगळं उध्वस्त झालं आहे. त्याबद्दल उध्दव ठाकरे यांनी पाच जिल्ह्यात तब्बल तीन तासांचा दौरा करून दुःख, वेदना, व्यथा व्यक्त केली आहे. त्यांच्या या भावना पाहून सगळेच…
बीजेपी नेता ने आगे कहा कि उद्धव ठाकरे का दशहरा कार्यक्रम आयोजित करना और उसके लिए लाखों रुपये खर्च करना सही नहीं है, जबकि हजारों लोग अपने घरों, फसल और संपत्ति को बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं. उनका मानना है कि वास्तविक संवेदना तभी दिखाई देती है जब नेताओं के शब्दों के साथ कार्य भी जुड़ा हो.
उल्लेखनीय है कि मराठवाड़ा में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है. लगातार बारिश से हज़ारों हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है और कई गाँव पानी में डूब गए हैं. मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और विपक्षी दलों के नेता बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी हाल ही में मराठवाड़ा का दौरा किया और राहत कार्यों की मांग की.
केशव उपाध्ये ने कहा कि उद्धव ठाकरे को अब जिम्मेदारी के साथ कार्रवाई करनी चाहिए. दशहरा समागम रद्द कर उसका खर्च बाढ़ पीड़ितों को देना ही सही कदम होगा. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले अनुभवों से यह स्पष्ट है कि केवल दौरे और मीडिया के लिए बयान देने से लोगों की वास्तविक मदद नहीं हो पाती.
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