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केंद्र ने वक्फ को बताया धर्मनिरपेक्ष, कहा- `इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती`

Updated on: 21 May, 2025 06:10 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

केंद्र ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष उन मुद्दों को संबोधित किया, जो अदालत ने पहले उठाए थे.

वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लेते लोग. फाइल फोटो

वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लेते लोग. फाइल फोटो

केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव करते हुए कहा कि वक्फ अपने स्वभाव से ही एक “धर्मनिरपेक्ष अवधारणा” है और इसके पक्ष में “संवैधानिकता की धारणा” को देखते हुए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष प्रस्तुत अपने लिखित नोट में उन मुद्दों को संबोधित किया, जो अदालत ने पहले उठाए थे और कहा कि कानून केवल धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए वक्फ प्रशासन के धर्मनिरपेक्ष पहलुओं को विनियमित करने का प्रयास करता है. 

रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि इस पर रोक लगाने की कोई “गंभीर राष्ट्रीय तात्कालिकता” नहीं है. नोट में कहा गया है, “कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी और मामले पर अंतिम रूप से निर्णय लेंगी. संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है.” 


केंद्र ने कहा कि तीन मुद्दे, जिन पर अंतरिम निर्देशों के लिए पीठ को विचार करना था, उनमें धारा 3(आर) थी, जो भविष्य में `उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ` की मान्यता को हटा देती है, और धारा 3सी, जो सरकारी संपत्ति को वक्फ घोषित किए जाने से बाहर रखने वाले विशेष प्रावधान पेश करती है. रिपोर्ट के अनुसार इसने कहा कि तीसरा मुद्दा केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों की संरचना के संबंध में था, जो सीमित गैर-मुस्लिम प्रतिनिधित्व की अनुमति देता है. 


इसने स्थगन की याचिका का विरोध करते हुए, कहा, "याचिकाकर्ताओं की दलीलों के विपरीत, कोई गंभीर राष्ट्रीय तात्कालिकता उत्पन्न नहीं होती है, जिसके लिए अधिनियमन पर रोक लगाई जाए." रिपोर्ट के मुताबिक इसने कहा कि याचिकाएं वक्फ के निर्माण और वक्फ से जुड़े संपत्ति विनियमन को संविधान के तहत अनुच्छेद 25 और 26 (धर्म का पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता) के तहत धार्मिक अधिकारों के साथ भ्रमित करती हैं. इसने कहा, "यह ध्यान दिया जा सकता है कि वक्फ, अपने स्वभाव से, एक धर्मनिरपेक्ष अवधारणा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वक्फ का मतलब केवल संपत्ति का समर्पण है."


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