Updated on: 22 May, 2025 09:29 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा है. केन्द्र सरकार ने वक्फ अधिनियम को पूर्ण समर्थन दिया है.
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
वक्फ संशोधन अधिनियम पर अंतरिम रोक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. इस बीच, केंद्र सरकार ने कानून पर अंतरिम रोक लगाने का विरोध किया है. सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अपना अंतरिम आदेश सुरक्षित रखा है. चर्चा के दौरान केन्द्र सरकार ने वक्फ अधिनियम को अपना पूर्ण समर्थन दिया है. अंतरिम आदेश सुरक्षित रखने से पहले सीजेआई बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने दलीलें लगातार तीन दिनों तक सुनीं. बहस के दौरान केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम का पुरजोर समर्थन किया. इस बीच, केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ अपने स्वभाव से ही एक धर्मनिरपेक्ष अवधारणा है और इसके पक्ष में संवैधानिकता की धारणा का हवाला देकर इसे रोका नहीं जा सकता. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने वक्फ एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था.
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साथ ही यह तर्क दिया गया कि यह गैर-न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से वक्फ पर कब्जा करने का एक साधन बन जाएगा. तीन मुद्दों में से एक, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की अदालत की शक्ति से संबंधित था. दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद के गठन पर था, जिसके लिए उन्होंने तर्क दिया कि केवल मुसलमानों को ही इसमें शामिल होना चाहिए, पदाधिकारियों को छोड़कर. तीसरा और अंतिम बिन्दु यह प्रावधान है कि जब कलेक्टर यह जांच कर लेगा कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा. 25 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने वक्फ अधिनियम 2025 के बचाव में अदालत में 1,332 पन्नों का हलफनामा दायर किया था. साथ ही उन्होंने संसद द्वारा संवैधानिक माने जाने वाले कानून पर अदालत द्वारा किसी भी तरह की पूर्ण रोक लगाने का विरोध किया था.
केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव करते हुए कहा कि वक्फ अपने स्वभाव से ही एक “धर्मनिरपेक्ष अवधारणा” है और इसके पक्ष में “संवैधानिकता की धारणा” को देखते हुए इस पर रोक नहीं लगाई जा सकती. केंद्र ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष प्रस्तुत अपने लिखित नोट में उन मुद्दों को संबोधित किया, जो अदालत ने पहले उठाए थे और कहा कि कानून केवल धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए वक्फ प्रशासन के धर्मनिरपेक्ष पहलुओं को विनियमित करने का प्रयास करता है.
इसने स्थगन की याचिका का विरोध करते हुए, कहा, "याचिकाकर्ताओं की दलीलों के विपरीत, कोई गंभीर राष्ट्रीय तात्कालिकता उत्पन्न नहीं होती है, जिसके लिए अधिनियमन पर रोक लगाई जाए." इसने कहा कि याचिकाएं वक्फ के निर्माण और वक्फ से जुड़े संपत्ति विनियमन को संविधान के तहत अनुच्छेद 25 और 26 (धर्म का पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता) के तहत धार्मिक अधिकारों के साथ भ्रमित करती हैं. इसने कहा, "यह ध्यान दिया जा सकता है कि वक्फ, अपने स्वभाव से, एक धर्मनिरपेक्ष अवधारणा है. ऐसा इसलिए है क्योंकि वक्फ का मतलब केवल संपत्ति का समर्पण है."
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