Updated on: 19 May, 2025 09:27 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
यह टिप्पणी उस समय आई जब न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ एक श्रीलंकाई नागरिक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
प्रतीकात्मक फ़ाइल छवि
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक श्रीलंकाई नागरिक के शरणार्थी आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि भारत ऐसा देश नहीं है जहां दुनिया भर के शरणार्थियों का स्वागत किया जा सके. यह टिप्पणी उस समय आई जब न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ एक श्रीलंकाई नागरिक द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. आवेदक को 2015 में श्रीलंका स्थित आतंकवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) से जुड़े होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था.
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उन्हें 2018 में गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया और 10 साल जेल की सजा सुनाई गई. हालाँकि, 2022 में मद्रास उच्च न्यायालय ने उन्हें राहत दी, जिसमें उनकी सजा को घटाकर सात साल कर दिया गया और शर्त यह थी कि जेल से रिहा होने के बाद वह भारत छोड़ देंगे. जान को खतरा बताते हुए श्रीलंकाई नागरिक ने अदालत के समक्ष दलील दी कि वह वीजा पर भारत आया था और उसका परिवार देश में बस गया है.
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, "क्या भारत दुनिया भर से आए शरणार्थियों को शरण देगा? हम 140 करोड़ की आबादी से जूझ रहे हैं. यह कोई धर्मशाला नहीं है जहां हम दुनिया भर से आए विदेशी नागरिकों का स्वागत कर सकें." अदालत ने फैसला सुनाया कि आवेदक की हिरासत संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुरूप है, क्योंकि इसमें उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है.
न्यायमूर्ति दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार (भाषण और आवागमन की स्वतंत्रता सहित) केवल भारतीय नागरिकों पर लागू होते हैं, जिससे याचिकाकर्ता के भारत में बसने के अधिकार पर सवाल उठता है. जब आवेदक के वकील ने उसकी शरणार्थी स्थिति और श्रीलंका में जीवन के लिए ख़तरनाक स्थितियों पर ज़ोर दिया, तो अदालत ने सुझाव दिया कि वह किसी अन्य देश में स्थानांतरित होने पर विचार करें. उल्लेखनीय है कि सरकार देशभर में अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने के लिए प्रयास कर रही है. हाल ही में, भारत सरकार ने उन पाकिस्तानी नागरिकों को अपने देश लौटने का आदेश दिया है जो वीजा पर भारत में अवैध रूप से रह रहे थे, तथा विशेष रूप से बांग्लादेशी शरणार्थियों को भी गिरफ्तार करके वापस भेजा जा रहा है. इस बीच, लोग अदालत द्वारा दिए गए फैसले का स्वागत कर रहे हैं.
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