Updated on: 22 September, 2024 04:59 PM IST | Mumbai
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि सभी महत्वपूर्ण निर्णय केंद्रीय जल आयोग, जल शक्ति मंत्रालय और भारत सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा बिना किसी आम सहमति के एकतरफा लिए जाते हैं.
X/Pics
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की बाढ़ की स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक और पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) पर उनकी सरकार से बिना परामर्श किए जलाशयों से पानी छोड़ने का आरोप लगाया. इससे राज्य के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
बनर्जी का यह पत्र केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल के जवाब के बाद आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि राज्य के अधिकारियों को हर चरण में जलाशयों से पानी छोड़े जाने के बारे में सूचित किया गया था. पाटिल के अनुसार, यह निर्णय किसी बड़ी आपदा से बचने के लिए आवश्यक था.
ममता बनर्जी ने अपने पत्र में कहा, “माननीय मंत्री का दावा है कि डीवीसी द्वारा पानी छोड़ने का काम आम सहमति और दामोदर घाटी जलाशय विनियमन समिति के सहयोग से किया गया था, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श भी शामिल है. लेकिन मैं इस बात से असहमत हूं."
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि सभी महत्वपूर्ण निर्णय केंद्रीय जल आयोग, जल शक्ति मंत्रालय और भारत सरकार के प्रतिनिधियों द्वारा बिना किसी आम सहमति के एकतरफा लिए जाते हैं. उन्होंने कहा कि कई बार डीवीसी जलाशयों से बिना राज्य सरकार को सूचित किए पानी छोड़ देता है, जिससे राज्य सरकार के विचारों को अनदेखा किया जाता है.
बनर्जी ने पत्र में लिखा, "इसके अलावा, जलाशयों से पानी छोड़े जाने का निर्णय केवल 3.5 घंटे की सूचना पर लिया गया और अधिकतम नौ घंटे तक पानी छोड़ा गया. यह प्रभावी आपदा प्रबंधन के लिए अपर्याप्त साबित हुआ.”
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार के आपत्तियों और सुझावों की अनदेखी की जा रही है, जिससे बाढ़ की समस्या गंभीर हो रही है. उनका यह पत्र 21 सितंबर को लिखा गया था, जिसे रविवार को सार्वजनिक किया गया.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT