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Maratha Quota: विरोध प्रदर्शन के बीच 4 शहरों में लगाए गए 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे

Updated on: 22 July, 2024 08:30 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

516 सीसीटीवी कैमरों में से 178 बीड शहर में, 115 माजलगांव में, 90 आष्टी में और 133 परली शहर में लगाए गए हैं, जिसके लिए जिला योजना समिति से 15.4 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है.

रिप्रेजेंटेटिव इमेज

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महाराष्ट्र के बीड शहर और मराठवाड़ा के तीन अन्य कस्बों में 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, जहां पिछले साल मराठा आरक्षण के लिए विरोध प्रदर्शन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई थीं. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार 516 सीसीटीवी कैमरों में से 178 बीड शहर में, 115 माजलगांव में, 90 आष्टी में और 133 परली शहर में लगाए गए हैं, जिसके लिए जिला योजना समिति से 15.4 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई है.

रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2023 में प्रदर्शनकारियों ने एनसीपी विधायक प्रकाश सोलंके के आवास में आग लगा दी थी, जबकि माजलगांव और बीड में पूर्व विधायक अमरसिंह पंडित और जयदत्त क्षीरसागर के घरों और सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ की गई थी. इस बीच, मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि महाराष्ट्र सरकार मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र जारी नहीं कर रही है, जबकि राज्य में 57 लाख और पड़ोसी तेलंगाना के हैदराबाद में 5,000 सहायक दस्तावेज मौजूद हैं. इसके अलावा, सरकार समुदाय में विभाजन पैदा करने की साजिश कर रही है. 


महाराष्ट्र के जालना में एक रैली को संबोधित करते हुए मनोज जरांगे ने कहा कि जब तक समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण नहीं मिल जाता और राज्य सरकार की `सेज सोयारे` (जन्म या विवाह से संबंधित) अधिसूचना लागू नहीं हो जाती, तब तक वह चैन से नहीं बैठेंगे. रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा, "राज्य सरकार को महाराष्ट्र में 57 लाख और हैदराबाद में 5,000 दस्तावेज मिले हैं, जो साबित करते हैं कि मराठा कुनबी हैं. इसके बावजूद सरकार बहाने बना रही है और जानबूझकर आरक्षण नहीं दे रही है. राज्य सरकार मराठा आंदोलन को कमजोर करने के लिए समुदाय को विभाजित करने की साजिश कर रही है." 


मनोज जरांगे ने आगे कहा कि मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए उनकी 13 जुलाई की समय सीमा कायम है और इससे पीछे नहीं हटेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि जब तक आंदोलन के उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते, वे चैन से नहीं बैठेंगे. मनोज जरांगे ने दावा किया, "पिछली भाजपा और कांग्रेस सरकारों ने मराठों को 16 प्रतिशत कोटा दिया और फिर इसे घटाकर 13 प्रतिशत कर दिया. वर्तमान सरकार ने केवल 10 प्रतिशत दिया है. यह कानूनी जांच में टिक नहीं पाएगा और इसलिए हम ओबीसी श्रेणी के तहत आरक्षण की मांग कर रहे हैं. भाजपा और कांग्रेस मराठा समुदाय से झूठे वादे कर रही हैं."


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