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मुंबई, पुणे और नागपुर में ओला-उबर ड्राइवरों की हड़ताल अनिश्चितकाल तक जारी, सरकार से ठोस आश्वासन की मांग

Updated on: 17 July, 2025 01:05 PM IST | Mumbai
Rajendra B Aklekar | rajendra.aklekar@mid-day.com

ओला और उबर के ड्राइवरों ने सरकार से ठोस आश्वासन मिलने तक अपनी हड़ताल जारी रखने का संकल्प लिया है. हड़ताल के चलते मुंबई, पुणे, नागपुर समेत अन्य शहरों में आज लगभग 90 प्रतिशत कैबें सड़कों से नदारद रहीं.

Pic/Shadab Khan

Pic/Shadab Khan

ओला और उबर ड्राइवरों ने बुधवार को लगातार दूसरे दिन अपनी हड़ताल जारी रखी और राज्य सरकार द्वारा ठोस आश्वासन मिलने तक अपने विरोध को और तेज़ करने का संकल्प लिया.

"हम अपने अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और करते रहेंगे. आज हम आज़ाद मैदान में नहीं बैठे हैं, बल्कि पुणे, मुंबई, नागपुर और अन्य शहरों में फैले हुए हैं और कैब और ऑटो रोककर हड़ताल को लागू कर रहे हैं. आज लगभग 90 प्रतिशत कैब सड़कों से नदारद रहीं," महाराष्ट्र कामगार सभा के अध्यक्ष केशव नाना क्षीरसागर ने कहा, जो आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं.


ओला, उबर, ज़ोमैटो, स्विगी और अन्य एग्रीगेटर कंपनियों के ड्राइवर और कर्मचारी पिछले कुछ दिनों से इन प्लेटफॉर्म्स द्वारा उनके साथ किए जा रहे `अन्याय` के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कई प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), पुणे, नागपुर और अन्य शहरों में कई जगहों पर यात्रियों को कैब और ऑटो से उतरने पर मजबूर किया.


उनकी पाँच प्रमुख माँगें हैं: किरायों का युक्तिकरण, मीटर वाली कैब के समान किरायों का भुगतान, बाइक टैक्सियों पर सख़्त `ना`, कैब और ऑटो परमिट की सीमा, कैब और टैक्सी चालकों के लिए कल्याण बोर्ड का गठन, और महाराष्ट्र गिग वर्कर्स एक्ट का कार्यान्वयन.

यात्रियों की राय


ओला-उबर हड़ताल ने शहर भर के कॉर्पोरेट कर्मचारियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा है. बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स स्थित एक कंपनी में काम करने वाली प्रियंका जाधव ने कहा, "मैंने आज सुबह उबर बुक की थी. इसकी पुष्टि हो गई थी, और मैंने 10 मिनट तक इंतज़ार किया. लेकिन जब मैंने ड्राइवर को फ़ोन किया, तो उसने कहा कि वह नहीं आ सकता और मुझे रद्द करने के लिए कहा. मैं हैरान रह गई और सोचने लगी कि उसने बुकिंग स्वीकार ही क्यों की."

बीकेसी की एक अन्य कर्मचारी प्रीति सरकार ने भी ऐसा ही अनुभव साझा किया. उन्होंने कहा, "मैं एक घंटे से ज़्यादा समय से ऑटो या टैक्सी का इंतज़ार कर रही हूँ. मेरे पास इंतज़ार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि मैं सीधे घर जाना चाहती हूँ." यह समस्या सिर्फ़ बीकेसी तक ही सीमित नहीं है. दक्षिण मुंबई में काम करने वाले और पश्चिमी उपनगरों में आने-जाने वाले कर्मचारियों को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. कोलाबा में काम करने वाली अवंतिका बिस्वास ने मिड-डे को बताया, "मैं खारघर में रहती हूँ और आमतौर पर ट्रेन से जाती हूँ. लेकिन आज मुझे पहले परेल जाना है. मैंने एक घंटे तक इंतज़ार किया और आखिरकार अपने दोस्तों से मिलने के लिए ट्रेन से जाने का फैसला किया. इससे मेरी योजनाएँ पूरी तरह से बिगड़ गईं."

हवाई अड्डे की सलाह

राज्य में चल रहे विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए, #मुंबईहवाई अड्डे से यात्रा करने वाले यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे परिवहन की उपलब्धता की जाँच करें और वैकल्पिक व्यवस्था पहले से कर लें.

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