Updated on: 12 August, 2025 09:57 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उच्च सदन में कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 की जटिल संरचना के कारण विभिन्न व्याख्याएँ हुईं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संशोधित विधेयक पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद सोमवार को लोकसभा में आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 पारित हो गया. फ़ाइल चित्र/पीटीआई
राज्यसभा ने मंगलवार को संसदीय प्रक्रिया के तहत संशोधित आयकर विधेयक और कराधान विधि (संशोधन) विधेयक, 2025 को लोकसभा को लौटा दिया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा के दौरान उच्च सदन में कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक रूप से सघन और जटिल संरचना के कारण विभिन्न व्याख्याएँ हुईं और कई अनावश्यक विवाद बढ़ते रहे, जो दर के कारण नहीं, बल्कि भाषा के कारण थे. हम पर बहुत सारे मुकदमे हुए. अधिनियम की सघनता और जटिलता, साथ ही दशकों से इसे जिस तरह से लिखा गया, उसमें विभिन्न शैलियों का बोलबाला था, उसने इसे किसी के लिए भी इस्तेमाल करना बहुत ही कठिन बना दिया था.
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रिपोर्ट के मुताबिक राज्यसभा द्वारा विधेयक को ध्वनिमत से लोकसभा को लौटा दिए जाने के बाद, अब इसे संसद द्वारा अनुमोदित कर दिया गया है और इसे राष्ट्रपति के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा ताकि यह अधिनियम बन सके. यह विधेयक छह दशक से भी अधिक पुराने आयकर अधिनियम, 1961 का स्थान लेगा.
वित्त मंत्री सीतारमण द्वारा संशोधित विधेयक पेश किए जाने के कुछ ही देर बाद, सोमवार को लोकसभा में आयकर (संख्या 2) विधेयक, 2025 पारित हो गया. इसमें संसदीय प्रवर समिति द्वारा की गई अधिकांश सिफ़ारिशें शामिल हैं. रिपोर्ट के अनुसार संशोधित विधेयक निष्पक्षता और स्पष्टता में सुधार लाएगा और साथ ही कानून को मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप बनाएगा. उन्होंने कहा कि नए मसौदे का उद्देश्य सांसदों को एक एकल, अद्यतन संस्करण प्रदान करना है जिसमें सभी सुझाए गए बदलावों को दर्शाया गया हो.
सीतारमण ने कहा कि प्रवर समिति से सुझाव प्राप्त हुए हैं, जिन्हें सही विधायी अर्थ प्रदान करने के लिए शामिल किया जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा, "मसौदे की प्रकृति, वाक्यांशों के संरेखण, परिणामी परिवर्तनों और परस्पर संदर्भों में सुधार किए गए हैं." रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने आगे कहा कि भ्रम से बचने के लिए पहले वाले विधेयक को वापस ले लिया गया था. अद्यतन आयकर विधेयक 2025 में संसदीय प्रवर समिति के 285 सुझाव शामिल हैं. नए कानून का उद्देश्य कर प्रक्रियाओं को सरल बनाना और पिछली कमियों को दूर करना है, जिससे देश में आयकर परिदृश्य में संभावित रूप से बदलाव आएगा. पिछले सप्ताह, आयकर विधेयक, 2025, जिसे 13 फरवरी को लोकसभा में मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 के स्थान पर पेश किया गया था, को सरकार ने औपचारिक रूप से वापस ले लिया.
इस कानून की समीक्षा के लिए ज़िम्मेदार संसदीय प्रवर समिति के अध्यक्ष, भाजपा सांसद बैजयंत पांडा के अनुसार, नया कानून पारित होने के बाद, भारत के दशकों पुराने कर ढांचे को सरल बनाएगा, कानूनी उलझनों को कम करेगा और व्यक्तिगत करदाताओं तथा एमएसएमई को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचने में मदद करेगा. यह नया अधिनियम करों को समझने और उनका अनुपालन करने में आसान बनाकर विकास को और गति देगा, जिससे विवादों और मुकदमेबाजी में कमी आएगी. पांडा ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 1500 से ज़्यादा कानूनों को निरस्त और संशोधित किया गया है, जिससे भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती और अब चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है."
मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 में 4,000 से ज़्यादा संशोधन हो चुके हैं और इसमें 5 लाख से ज़्यादा शब्द हैं. यह बहुत जटिल हो गया है. पांडा के अनुसार, नया विधेयक इसे लगभग 50 प्रतिशत तक सरल बनाता है - जिससे आम करदाताओं के लिए इसे पढ़ना और समझना कहीं ज़्यादा आसान हो गया है. संसदीय समिति ने कई मसौदा त्रुटियों की ओर ध्यान दिलाया था और अस्पष्टता कम करने के लिए संशोधन सुझाए थे. संशोधित विधेयक में, सभी करदाताओं को लाभ पहुँचाने के लिए स्लैब और दरों में व्यापक बदलाव किए गए हैं. सरकार के अनुसार, नया ढांचा मध्यम वर्ग के करों को काफ़ी कम करता है और उनके हाथों में ज़्यादा पैसा छोड़ता है, जिससे घरेलू उपभोग, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलता है.
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