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`बिहार में चुनावी घोषणाएं, महाराष्ट्र में किसानों की अनसुनी`– उद्धव ठाकरे का फडणवीस सरकार पर हमला

Updated on: 02 October, 2025 10:17 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

महाराष्ट्र में ‘गीला सूखा’ को लेकर सियासी टकराव तेज़ हो गया है. उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर किसानों की तबाही को नज़रअंदाज करने और अपनी सुविधानुसार शब्दकोश बदलने का आरोप लगाया, जबकि सरकार अंतरिम राहत पैकेज का हवाला दे रही है.

X/Pics, ShivSena - शिवसेना Uddhav Balasaheb Thackeray

X/Pics, ShivSena - शिवसेना Uddhav Balasaheb Thackeray

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर शब्दों की जंग छिड़ गई है. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने अपनी सुविधानुसार शब्दों की परिभाषा बदल डाली है. दरअसल, फडणवीस ने हाल ही में कहा था कि सरकारी नियमावली में ‘गीला सूखा’ जैसा कोई शब्द मौजूद नहीं है. इस बयान पर ठाकरे ने पलटवार करते हुए कहा, “जब मैं मुख्यमंत्री था और फडणवीस विपक्ष के नेता थे, तब उन्होंने खुद ‘सूखा प्रभावित किसानों’ को राहत देने की मांग वाला पत्र लिखा था. तब ‘सूखा’ शब्द था और अब अचानक यह गायब हो गया. क्या सरकार अब अपनी मर्ज़ी से शब्दकोश भी बदल रही है?”

 



 


विपक्ष की मांग, सरकार का इनकार

राज्य में पिछले दिनों हुई अत्यधिक वर्षा ने मराठवाड़ा, विदर्भ और उत्तरी-पश्चिमी महाराष्ट्र को बुरी तरह प्रभावित किया है. खेतों की फसलें बह गईं, किसानों के घर और सामान नष्ट हो गए, मवेशी बाढ़ में बह गए और लाखों परिवार तबाही झेल रहे हैं. इस आपदा को देखते हुए विपक्षी दलों ने राज्य में ‘गीला सूखा’ घोषित करने की मांग की है, ताकि किसानों को उचित मुआवज़ा और राहत मिल सके. लेकिन फडणवीस का कहना है कि सरकारी नियमों में ऐसी कोई परिभाषा नहीं है और अब तक इस तरह का कोई निर्णय किसी भी सरकार ने नहीं लिया है.

राहत पैकेज पर सियासत

फिलहाल सरकार ने अंतरिम राहत पैकेज के तौर पर प्रभावित किसानों को 10,000 रुपये नकद, 10 किलो चावल और 10 किलो गेहूं देने की घोषणा की है. साथ ही नुकसान का सर्वेक्षण अगले हफ़्ते तक पूरा करने और दिवाली से पहले अंतिम राहत राशि वितरित करने का आश्वासन दिया गया है. लेकिन उद्धव ठाकरे का कहना है कि यह राहत ऊंट के मुंह में जीरे के बराबर है. उन्होंने सवाल उठाया, “किसानों की तबाही इतनी बड़ी है और सरकार महज़ 10,000 रुपये में उनका दर्द बांटने की कोशिश कर रही है. यह किसानों के साथ मज़ाक है.”

बिहार की योजना पर कटाक्ष

ठाकरे ने भाजपा नीत केंद्र सरकार को भी आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 75 लाख महिलाओं को 10,000 रुपये देने की योजना घोषित की गई, जबकि किसी ने औपचारिक रूप से इसकी मांग तक नहीं की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि, “जहाँ चुनावी फायदा है, वहाँ सरकार हजारों करोड़ की घोषणाएँ कर देती है. लेकिन महाराष्ट्र में किसान लगातार कर्ज़माफी और सहायता की गुहार लगा रहे हैं, फिर भी उनकी पुकार अनसुनी की जा रही है.”

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