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राजनाथ सिंह ने बढ़ाई भारतीय नौसेना की ताकत, INS उदयगिरि और हिमगिरि नेवी में शामिल

Updated on: 27 August, 2025 04:55 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

उदयगिरि और हिमगिरि भारतीय नौसेना के नवीनतम अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17ए से आते हैं और पहला अवसर है जब दो अलग शिपयार्ड को एक साथ जलावतरण किया.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को भारतीय नौसेना की पूर्वी नौसेना कमान में दो बहु-मिशन स्टील्थ फ्रिगेट, आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस हिमगिरि का जलावतरण किया. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उदयगिरि और हिमगिरि भारतीय नौसेना के नवीनतम अत्याधुनिक प्रोजेक्ट 17ए से आते हैं और यह जलावतरण ऐसा पहला अवसर है जब दो अलग-अलग शिपयार्ड में निर्मित दो अग्रिम पंक्ति के सतही लड़ाकू जहाजों को एक साथ जलावतरण किया गया. यह प्रगति भारत के पूर्वी समुद्री तट के बढ़ते समुद्री महत्व को रेखांकित करती है.

रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा अधिकारियों के अनुसार, ये दोनों प्रोजेक्ट 17 (शिवालिक) श्रेणी के फ्रिगेट के अनुवर्ती जहाज हैं और दोनों जहाजों में डिज़ाइन, स्टील्थ, हथियार और सेंसर प्रणालियों में महत्वपूर्ण सुधार शामिल हैं, जो `नीले पानी` की परिस्थितियों में समुद्री मिशनों की पूरी श्रृंखला को अंजाम देने में सक्षम हैं. भारतीय नौसेना ने सोमवार देर रात एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "दो अत्याधुनिक लड़ाकू प्लेटफॉर्म भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गए हैं, जो समुद्र में भारत की ताकत को और मजबूत करेंगे...". उदयगिरि, प्रोजेक्ट 17A के स्टील्थ फ्रिगेट का दूसरा जहाज है और इसका निर्माण मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) द्वारा किया गया है. हिमगिरि, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता द्वारा निर्मित पहला P17A जहाज है.


उदयगिरि को प्रक्षेपण के बाद अपनी श्रेणी का सबसे तेज़ जहाज होने का गौरव भी प्राप्त है, जो भारतीय शिपयार्ड द्वारा अपनाई गई मॉड्यूलर निर्माण पद्धति का परिणाम है. रिपोर्ट के अनुसार लगभग 6700 टन विस्थापन वाले, P17A श्रेणी के फ्रिगेट अपने पूर्ववर्ती शिवालिक-श्रेणी के फ्रिगेट से लगभग पाँच प्रतिशत बड़े हैं, जिनमें कम रडार क्रॉस सेक्शन के साथ एक अधिक सुडौल आकार शामिल है.


इन फ्रिगेट के हथियारों में सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी एमआर गन और 30 मिमी और 12.7 मिमी क्लोज-इन हथियार प्रणालियों का संयोजन शामिल है. रिपोर्ट के मुताबिक 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ, ये फ्रिगेट रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं. ये दोनों फ्रिगेट पूर्वी बेड़े में शामिल होंगे, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में अपने समुद्री हितों की रक्षा करने की भारत की क्षमता मजबूत होगी.


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