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बिहार वोटर लिस्ट मामले में चुनाव आयोग को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी संशोधन की अनुमति

Updated on: 11 July, 2025 04:47 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस प्रक्रिया के समय पर सवाल उठाया और प्रथम दृष्टया यह राय भी दी कि विचार किया जा सकता है.

बिहार में रेलवे ट्रैक जाम किया

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सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारत के चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को जारी रखने की अनुमति देते हुए इसे "संवैधानिक आदेश" बताया. न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस प्रक्रिया के समय पर सवाल उठाया और प्रथम दृष्टया यह राय भी दी कि बिहार में एसआईआर के दौरान आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड पर विचार किया जा सकता है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार पीठ ने कहा, "हमारा प्रथम दृष्टया यह मत है कि मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण में आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को शामिल किया जाना चाहिए."

रिपोर्ट के मुताबिक यह देखते हुए कि 10 विपक्षी दलों के नेताओं सहित किसी भी याचिकाकर्ता ने चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर अंतरिम रोक लगाने की मांग नहीं की, पीठ ने याचिकाओं पर जवाब मांगा और सुनवाई 28 जुलाई के लिए स्थगित कर दी. पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग 21 जुलाई तक याचिकाओं पर जवाबी हलफनामा दाखिल करे और 28 जुलाई तक जवाब दाखिल करे.


सुप्रीम कोर्ट में 10 से ज़्यादा याचिकाएँ दायर की गई हैं, जिनमें एक याचिका एनजीओ `एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स` की भी है, जो मुख्य याचिकाकर्ता है. चुनाव आयोग की ओर से पेश राकेश द्विवेदी ने कहा कि 60 प्रतिशत मतदाताओं ने अपनी पहचान सत्यापित कर ली है और अदालत को आश्वासन दिया कि बिना सुनवाई के किसी भी मतदाता का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा. रिपोर्ट के अनुसार इससे पहले, पीठ ने चुनाव वाले बिहार में एसआईआर अभियान के समय पर चुनाव आयोग से सवाल किया और कहा कि यह "लोकतंत्र और मतदान के अधिकार की जड़" तक जाता है, जबकि इस तर्क को खारिज कर दिया कि चुनाव आयोग के पास इसे लागू करने का कोई अधिकार नहीं है.


ईसीआई ने भी इस अभ्यास को उचित ठहराया और कहा कि आधार "नागरिकता का प्रमाण" नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक पीठ ने एसआईआर अभियान में आधार कार्ड को शामिल न करने पर द्विवेदी से सवाल किया और कहा कि ईसीआई का किसी व्यक्ति की नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है और यह गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है. द्विवेदी ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला देते हुए जवाब दिया और कहा कि प्रत्येक मतदाता को भारतीय नागरिक होना चाहिए और "आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है".


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