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तहव्वुर राणा को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका, भारत प्रत्यर्पण रोकने की याचिका खारिज

Updated on: 07 March, 2025 10:49 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

Mumbai Blasts Accused Tahawwur Rana: 26/11 मुंबई हमलों के दोषी तहव्वुर राणा की भारत प्रत्यर्पण रोकने की याचिका को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है, जिससे उसका भारत प्रत्यर्पण लगभग तय हो गया है.

Representational Image

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26/11 मुंबई आतंकी हमले के दोषी तहव्वुर राणा को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश एलेना कागन ने इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिससे अब राणा का भारत प्रत्यर्पण लगभग तय हो गया है.

पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा पर 2008 के मुंबई हमलों में संलिप्तता का आरोप है. इन हमलों में 166 लोगों की जान गई थी, जिसमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे. भारत लंबे समय से तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था ताकि यहां की अदालत में उस पर मुकदमा चलाया जा सके. राणा अमेरिका की जेल में फिलहाल सजा काट रहा है.


राणा ने पहले अमेरिकी कोर्ट में यह दावा किया था कि उसे भारत प्रत्यर्पित करने पर वहां उसके साथ न्याय नहीं होगा और मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है. उसने आशंका जताई थी कि भारत में मुकदमे के दौरान उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में उसने इन्हीं तर्कों के आधार पर प्रत्यर्पण रोकने का आग्रह किया था. लेकिन कोर्ट ने उसके इन तर्कों को ठुकरा दिया.


सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब अमेरिकी सरकार जल्द ही राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की प्रक्रिया शुरू कर सकती है. भारत सरकार ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि इससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक मजबूत संदेश जाएगा.

गौरतलब है कि तहव्वुर राणा को अमेरिका में आतंकवाद की साजिश रचने के आरोप में दोषी ठहराया गया था. अमेरिकी अदालत ने उसे 14 साल की जेल की सजा सुनाई थी. उसकी सजा पूरी होने के बाद से ही भारत सरकार उसे मुंबई हमले की साजिश में शामिल होने के आरोपों का सामना करने के लिए भारत लाने का प्रयास कर रही थी.


राणा का भारत प्रत्यर्पण आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है. यह मामला आने वाले दिनों में आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े अन्य मामलों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल साबित हो सकता है.

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