Updated on: 22 May, 2025 08:27 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
तमिलनाडु सरकार और TASMAC द्वारा दायर याचिकाओं पर प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी करते हुए, पीठ ने कहा कि आपका ईडी सारी हदें पार कर रहा है.
फ़ाइल चित्र.
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय की आलोचना करते हुए कहा कि वह ‘सारी हदें पार कर रहा है’ और शासन के संघीय ढांचे को कमजोर कर रहा है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार उसने शराब की दुकानों के लाइसेंस जारी करने में कथित अनियमितताओं को लेकर तमिलनाडु की सरकारी शराब खुदरा विक्रेता कंपनी TASMAC के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच पर रोक लगा दी. तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) द्वारा दायर याचिकाओं पर प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी करते हुए, मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अगुवाई वाली पीठ ने ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू को संबोधित करते हुए कहा कि आपका ईडी सारी हदें पार कर रहा है.
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रिपोर्ट के मुताबिक पीठ ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय शासन की संघीय अवधारणा का उल्लंघन कर रहा है. साथ ही, यह भी कहा कि इस बीच ईडी की जांच राज्य द्वारा संचालित TASMAC के खिलाफ आगे नहीं बढ़ेगी. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायालय के इस तर्क का विरोध करते हुए विधि अधिकारी ने कहा कि इन मुद्दों में 1000 करोड़ रुपये से अधिक का भ्रष्टाचार शामिल है और इसलिए ईडी कम से कम इस विशेष मामले में कोई सीमा पार नहीं कर रहा है.
पीठ ने सवाल किया, "आप राज्य द्वारा संचालित टीएएसएमएसी पर कैसे छापा मार सकते हैं?" डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार और तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले के संबंध में टीएएसएमएसी परिसरों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हाल ही में की गई छापेमारी का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार और TASMAC ने इन कार्रवाइयों की वैधता और औचित्य को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि ED ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है, खास तौर पर यह देखते हुए कि राज्य ने पहले ही कई FIR के ज़रिए इस मामले में कार्रवाई की है.
याचिकाओं में विशेष रूप से मद्रास उच्च न्यायालय के 23 अप्रैल के फ़ैसले को चुनौती दी गई थी, जिसने उनकी पिछली याचिकाओं को खारिज कर दिया था और प्रभावी रूप से ED को अपनी जाँच जारी रखने की अनुमति दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक उच्च न्यायालय के फ़ैसले ने केंद्रीय एजेंसी को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत आगे बढ़ने की हरी झंडी दे दी.
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