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`हिंसा नाकाबिले बर्दाश्त`– लातूर की घटना पर अजित पवार का बड़ा बयान, सूरज चव्हाण को हटाया पद से

Updated on: 21 July, 2025 02:15 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

लातूर में छावा संगठन के विरोध प्रदर्शन के दौरान एनसीपी नेता सूरज चव्हाण द्वारा कार्यकर्ताओं की पिटाई का वीडियो वायरल होने पर अजित पवार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी.

X/Pics, Ajit Pawar

X/Pics, Ajit Pawar

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने लातूर में हुई एक विवादास्पद घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. यह विवाद तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे का विधानमंडल सत्र के दौरान रमी खेलते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इस वीडियो के बाद मंत्री को काफी ट्रोल किया गया, जिससे नाराज होकर अखिल भारतीय छावा संगठन के कार्यकर्ताओं ने रविवार को लातूर में विरोध प्रदर्शन किया.

प्रदर्शन के दौरान छावा संगठन के सदस्यों ने एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे की उपस्थिति में उन पर ताश के पत्ते फेंककर अपनी नाराजगी जाहिर की. इस अप्रत्याशित विरोध के बाद माहौल गर्मा गया और एनसीपी के युवक प्रदेश अध्यक्ष सूरज चव्हाण ने कथित तौर पर छावा कार्यकर्ताओं की पिटाई कर दी. यह मारपीट भी कैमरे में कैद हो गई और सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली.


 



 

इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने महायुति सरकार और एनसीपी की कार्यशैली पर सवाल उठाए. विवाद बढ़ता देख अजित पवार ने सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए इस घटना को `गंभीर, दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय` बताया. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे किसी भी प्रकार की हिंसा, अशिष्ट व्यवहार और असंसदीय भाषा का विरोध करते हैं. उन्होंने एनसीपी की वैचारिक विरासत की बात करते हुए कहा कि पार्टी छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, महात्मा फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों पर चलती है, जिसमें लोकतंत्र, समानता और भाईचारे को प्राथमिकता दी जाती है.

अपने अगले पोस्ट में अजित पवार ने बड़ा कदम उठाते हुए सूरज चव्हाण को तुरंत पद से इस्तीफा देने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि यह कठोर निर्णय इसलिए लिया गया है ताकि पार्टी के मूल्यों के खिलाफ किसी भी तरह के व्यवहार को बर्दाश्त न किया जाए.

 

 

इस घटनाक्रम से साफ है कि एनसीपी नेतृत्व सार्वजनिक छवि और सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करना चाहता. पार्टी ने एक बार फिर यह संदेश देने की कोशिश की है कि अनुशासन और लोकतांत्रिक मर्यादाएं उसके लिए सर्वोपरि हैं.

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