इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार, विधान परिषद के सभापति राम शिंदे, और राज्य सरकार के मंत्री आशीष शेलार व संजय शिरसाट भी उपस्थित थे.
चैत्यभूमि, जो डॉ. आंबेडकर का अंतिम विश्राम स्थल है, हर वर्ष उनकी जयंती पर लाखों अनुयायियों और श्रद्धालुओं का प्रमुख केंद्र बन जाता है. इस वर्ष भी सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा.
लोगों ने उनके आदर्शों को याद करते हुए दीप प्रज्ज्वलन, पुष्प अर्पण और प्रार्थनाएं कीं. कई सामाजिक संगठनों और दलों ने भी इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन किया.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस अवसर पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर डॉ. आंबेडकर को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “एक महान अर्थशास्त्री, सामाजिक समता के अग्रदूत और भारतीय संविधान के निर्माता, भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को उनकी जयंती पर सादर नमन.”
उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहेब के विचार आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को न्याय, समानता और बंधुत्व के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं.
राज्यपाल राधाकृष्णन ने भी डॉ. आंबेडकर के योगदान को भारतीय लोकतंत्र की नींव बताते हुए कहा कि उनका जीवन सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में उनके प्रयासों ने देश को एक समावेशी दृष्टिकोण प्रदान किया.
पूरे महाराष्ट्र में डॉ. आंबेडकर जयंती पर श्रद्धांजलि कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, जिनमें युवाओं, छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की बड़ी भागीदारी देखी गई. सरकारी इमारतों को रोशनी से सजाया गया और सार्वजनिक स्थलों पर उनकी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया गया.
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