इस साल भी इस परंपरा का निर्वहन करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने विट्ठल भगवान की पूजा अर्चना कर राज्य की सुख-समृद्धि की कामना की.
महापूजा के इस शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री की पत्नी अमृता फडणवीस और बेटी दिविजा फडणवीस भी महाराष्ट्रीयन पारंपरिक परिधान में पूजा में सम्मिलित हुईं. शंखध्वनि और भजनों की मधुर धुनों के बीच पंढरपुर का वातावरण भक्तिरस में सराबोर हो गया था.
इस साल नाशिक जिले के एक साधारण कृषक दंपत्ति को विशेष सम्मान प्राप्त हुआ. नासिक के नांदगांव तालुका के जटेगांव गांव निवासी कैलास दामू उगले और उनकी पत्नी कल्पना कैलास उगले को मुख्यमंत्री के साथ शासकीय पूजा में सहभागी बनने का अवसर प्राप्त हुआ.
यह सम्मान उन्हें भगवान विट्ठल के प्रति उनकी गहन भक्ति और 12 वर्षों से लगातार वारी में सहभागिता के लिए प्रदान किया गया.
52 वर्षीय कैलास उगले एक किसान हैं और उनके पिता सेना से सेवानिवृत्त हैं. उनकी पत्नी कल्पना भी खेती के कार्यों में उनका सहयोग करती हैं.
साधारण जीवन जीने वाले इस दंपत्ति की विट्ठलभक्ति और वारकरी परंपरा के प्रति समर्पण ने उन्हें यह अलौकिक सम्मान दिलाया. शासकीय पूजा के समय दोनों पारंपरिक परिधान में, अत्यंत विनम्रता और श्रद्धा के साथ विट्ठल-रुक्मिणी की आराधना में लीन दिखे.
पंढरपुर में हर साल लाखों वारकरी पैदल चलकर विट्ठल के दर्शन हेतु आते हैं. यह महापूजा उस समर्पण और भक्ति की पराकाष्ठा को दर्शाती है जो आम जन से लेकर राज्य के शीर्ष नेतृत्व तक फैली हुई है.
इस अवसर पर राज्यभर से अनेक श्रद्धालु, संत और वारकरी समुदाय के लोग भी मौजूद रहे, जिन्होंने सामूहिक भजन, कीर्तन और दर्शन के माध्यम से विट्ठल नाम का संकीर्तन किया.
इस प्रकार, आषाढ़ी एकादशी का यह पावन दिन भक्ति, सेवा और परंपरा का संगम बनकर एक अविस्मरणीय अनुभव में परिवर्तित हो गया, जो आने वाले वर्षों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा.
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