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मूवी रिव्यू : मनोज बाजपाई ने `जोरम` में शानदार अभिनय से जीता दिल, ट्विटर पर फैंस कर रहे जमकर तारीफ

Updated on: 12 December, 2023 12:59 PM IST | mumbai
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`जोरम` (Joram), 2014 में रिलीज़ हुई हंसल मेहता की सिटीलाइट्स के बेहद करीब है. अब जोरम (Joram) में बड़े शहर के अस्तित्व की क्रूरता के बारे में एक कहानी बनाने की बात कहता है.

जोरम

जोरम

`जोरम` (Joram), 2014 में रिलीज़ हुई हंसल मेहता की सिटीलाइट्स के बेहद करीब है. अब जोरम (Joram) में बड़े शहर के अस्तित्व की क्रूरता के बारे में एक कहानी बनाने की बात कहता है. सुकेतु मेहता ने अपनी पुस्तक मैक्सिमम सिटी: बॉम्बे लॉस्ट एंड फाउंड पर आधारित फिल्म है. फिल्म में दिखाया गया,"बॉम्बे जैसा शहर बेचैन लोगों से भरा है. जो लोग यहां आए हैं उन्हें कहीं और आराम नहीं मिला है और अन्य लोगों के विपरीत, जो जहां से भी आए थे, समान रूप से असहज हो सकते थे, ये लोग उठे और चले गए.”

‘जोरम’ (Joram) पुलिस के चंगुल से बचकर अपनी नवजात बेटी के साथ भाग रहे एक इंसान पर आधारित एक थ्रिलर है. दसरू उर्फ बाला (Manoj Bajpayee) एक अच्छे भविष्य की कामना करते हुए, झारखंड के एक गांव से मुंबई जैसे महानगर में आता है. हालांकि उसे जरा भी अंदाज़ा नहीं था कि बेहतर जीवन की यह तलाश उसे अराजकता के भंवर में डुबा देगी. भाग्य का एक क्रूर मोड़ उसे कानून का सामना करने के लिए प्रेरित करता है और उसे भगोड़ा साबित कर दिया जाता है.


देवाशीष मखीजा द्वारा निर्देशित, जोरम एक बेहतरीन थ्रिलर फिल्म है. फिल्म के जरिए निर्देशक हमें और भी बहुत कुछ बताने की कोशिश कर रहे हैं. यह फिल्म ग्रामीण-शहरी पलायन के विनाशकारी परिणामों को भी दिखा रही है. जो लोगों को आराम और रोजगार के वादे के साथ बहकाता है, केवल बाद में उनकी आजीविका को नष्ट कर देता है और उनकी पीड़ा का आनंद उठाता है.


मखीजा दृढ़ता से आदिवासियों, कानून प्रवर्तन, विद्रोहियों और राजनेताओं की वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हैं, जहां शोषण, जबरदस्ती और क्रूरता सर्वोच्च शासन करती है. वह अपनी नैतिकता और मूल्य प्रणाली को नहीं छिपाते हैं. वह राज्य द्वारा लालच की गलाकाट खोज में फंस जाते हैं और कॉर्पोरेट हितों द्वारा लक्षित होते हैं.

फिल्म (Joram) एक ऐसी दुनिया का चित्रण कर रही है जहां वादे तोड़े जाते हैं और शक्तिशाली कमजोर लोगों पर हुक्म चलाते हैं. इस फिल्म के भयावह दृश्य और संवाद लंबे समय तक आपके दिलों दिमाग पर छाए रहेंगे. फिल्म को मिड-डे ने 5 में से 4 रेटिंग्स दी हैं. 


फैंस ट्विटर पर मनोज बाजपाई की फिल्म को काफी पसंद कर रहे हैं. एक फैन ने मनोज बाजपाई के ट्वीट पर रिप्लाई कर कहा क्या मूवी है सर. एक फैन ने फिल्म को वाकई शानदार बताया है.

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