Updated on: 16 July, 2025 12:54 PM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
पवन कल्याण की आगामी फिल्म `हरि हर वीरा मल्लू` 24 जुलाई को रिलीज़ हो रही है. निर्देशक ज्योति कृष्ण ने फिल्म में पवन कल्याण के किरदार को दिग्गज अभिनेता एनटीआर और एमजीआर से प्रेरित होकर डिज़ाइन किया है.
फिल्म में पवन का किरदार एक सशक्त और धर्मनिष्ठ नेता के रूप में उभरता है, जिसमें `माता विनाली` जैसे गहरे संदेश भी समाहित हैं.
पवन कल्याण की आगामी फिल्म हरि हर वीरा मल्लू 24 जुलाई को रिलीज़ के लिए तैयार है, और फिल्म को लेकर उत्साह अपने चरम पर है. एक दिलचस्प खुलासा करते हुए, निर्देशक ज्योति कृष्ण ने बताया कि उन्होंने हरि हरा वीरा मल्लू में पवन कल्याण के किरदार को डिज़ाइन करने के लिए दिग्गज अभिनेता एनटीआर और एमजीआर से प्रेरणा ली है. फिल्म निर्माता ने आगे कहा कि उन्हें पवन कल्याण के ऐसे अग्रणी गुणों को देखकर प्रेरणा मिली जो एनटीआर और एमजीआर जैसी प्रतिष्ठित हस्तियों से मिलते-जुलते हैं.
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ज्योति कृष्ण के अनुसार, हरि हरा वीरा मल्लू में पवन के ऑनस्क्रीन व्यक्तित्व को एक गुणी, मजबूत और `जनता के आदमी` के रूप में उनकी छवि को उभारने के लिए सावधानीपूर्वक गढ़ना था. निर्देशक ने बताया कि मुख्यमंत्री बनने के बाद भी, एमजीआर ने लगातार संदेश-उन्मुख विषयों और ईमानदारी से भरी फिल्में बनाकर अभिनय जारी रखा.
ज्योति कृष्णा कहते हैं, "मैं इसी पहलू से प्रेरित हुआ और हरि हर वीरा मल्लू में एक सशक्त और विचारोत्तेजक गीत `माता विनाली` की रचना की. गीत का सार जीवन में सकारात्मकता और धार्मिकता को अपनाने का संदेश देता है, जो पवन की विचारधारा और आकर्षण को दर्शाता है. इस गीत ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया और वे उनके साथ जुड़ गए."
इसी तरह, एनटीआर के कुछ सबसे प्रसिद्ध प्रदर्शन पौराणिक और लोककथाओं पर आधारित फ़िल्मों से मुझे प्रभावित हुए. भगवान राम और भगवान कृष्ण के रूप में उनका प्रतिष्ठित चित्रण इस चरित्र का एक निश्चित प्रतिनिधित्व है. निर्देशक बताते हैं, "एनटीआर गारू को धनुष और बाण के साथ भगवान राम के रूप में सराहनीय रूप से चित्रित किया गया था, जो उनकी शक्ति और धर्म को बनाए रखने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करता था. मैंने इसी तत्व से प्रेरणा ली और हरि हर वीरा मल्लू (जो एक ऐतिहासिक फ़िल्म भी है) में पवन गारू के लिए एक धनुष और बाण डिज़ाइन किया. ये हथियार पवन की शक्ति और न्याय के लिए लड़ने और धर्म को बनाए रखने की तत्परता का प्रतीक हैं." आगे कहते हैं कि जब वह पटकथा लिख रहे थे, तब उन्हें एहसास हुआ कि लोग पवन कल्याण को एक नायक के रूप में नहीं, बल्कि एक नेता के रूप में देख रहे हैं. "मैं हर दृश्य को `विशेष` बनाना चाहता था जो कथा को ऊंचा उठाए."
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