अभिनेता अपनी हालिया रिलीज़ सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव की सफलता का जश्न मना रहे हैं, यहाँ विनीत की कुछ अन्य फ़िल्में हैं, जो आपको साबित करेंगी कि उन्होंने एक अभिनेता के रूप में कभी भी प्रयोग करना बंद नहीं किया.
मुक्काबाज
मुक्काबाज़ एक ऐसी फ़िल्म है जो कई कारणों से विनीत के दिल के हमेशा करीब रहेगी. यह वह फ़िल्म थी जिसने उन्हें बॉलीवुड में 17 साल बाद स्थापित किया, एक फ़िल्म जिसे उन्होंने अपनी बहन मुक्ति के साथ मिलकर लिखा था, और अनुराग कश्यप द्वारा फ़िल्म बनाने और विनीत को इसमें कास्ट करने के लिए सहमत होने से पहले पूरे दो साल तक इंतज़ार किया. अभिनेता ने असल ज़िंदगी में बॉक्सर बनने के लिए एक साल से ज़्यादा समय तक प्रशिक्षण भी लिया. इस फ़िल्म ने 2017 टोरंटो इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल और 2017 MAMI फ़िल्म फ़ेस्टिवल में प्रशंसा हासिल की, जहाँ इसे स्टैंडिंग ओवेशन मिला. इस फिल्म ने विनीत कुमार सिंह को भी एक ऐसे अभिनेता के रूप में स्थापित किया, जिस पर नज़र रखना चाहिए.
गैंग्स ऑफ़ वासेपुर 1 और 2
विनीत ने अनुराग कश्यप की डार्क कॉमेडी में सरदार और नगमा के बेटे दानिश खान का किरदार निभाया था. दरअसल, दानिश के किरदार में एक ग्रे अंडरटोन था, लेकिन दर्शकों ने उसे बेहद पसंद किया. विनीत ने एक इंटरव्यू में गैंग्स ऑफ वासेपुर में अपने किरदार को चुनौतीपूर्ण लेकिन पुरस्कृत अनुभव भी बताया था.
गोल्ड
गोल्ड में विनीत ने भारत के खेल इतिहास में एक महत्वपूर्ण किरदार इम्तियाज अली शाह की भूमिका निभाई थी, जो 1936 के बर्लिन ओलंपिक में जर्मनी पर भारतीय हॉकी टीम की जीत का अहम हिस्सा थे. तपन (अक्षय कुमार) और इम्तियाज ने मिलकर एक नई भारतीय हॉकी टीम बनाई और 1948 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में एक स्वतंत्र देश के रूप में इतिहास रचा. विनीत ने इम्तियाज और उनके संघर्षों को जिस तरह से निभाया, उसकी खूब तारीफ हुई, खासकर मुश्किल समय में खिलाड़ियों की भावनाओं को सामने लाने के लिए.
अगली
अनुराग कश्यप द्वारा निर्देशित इस डार्क थ्रिलर में विनीत ने चैतन्य का किरदार निभाया, जो एक स्ट्रगलिंग एक्टर और कास्टिंग डायरेक्टर था. जिसमें इंसानों के `अगली` और इंटेंसिव पक्ष को सामने लाया गया था. और इसे कांस फ़िल्म फेस्टिवल में क्रिटिकल अक्लेम मिला. विनीत का परफॉर्मेंस खासतौर पर सराहा गया, क्योंकि उन्होंने एक जटिल और लेयर्ड किरदार को बहुत प्रभावी ढंग से निभाया.
गुंजन सक्सेना: द कारगिल गर्ल
विनीत ने कठोर स्वभाव वाले सेक्सिस्ट फ्लाइट कमांडर दिलीप सिंह की भूमिका निभाई, जो गुंजन के वरिष्ठ अधिकारी और प्रशिक्षक थे, जिन्होंने अकादमी में उनके लिए जीवन कठिन बना दिया था. वह अक्सर उसे हतोत्साहित करते नजर आते हैं, और उन्होंने संकीर्ण मानसिकता वाले व्यक्ति की भूमिका बखूबी निभाई है, जिसे फिल्म में बार-बार उजागर करने का प्रयास किया गया है.
छावा
छावा में विनीत ने छत्रपति संभाजी महाराज के दरबारी कवि कलश की भूमिका में अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ भूमिका निभाई. वह अपने राजा के साथ शुरू से लेकर आखिर तक, उनके मारे जाने से ठीक पहले तक खड़े रहे. अभिनेता वर्तमान में इस एतिहासिक फिल्म में अपने प्रदर्शन के लिए प्रशंसा का आनंद ले रहे हैं.
सुपरबॉयज ऑफ मालेगांव
रीमा कागती द्वारा निर्देशित इस फ़िल्म में विनीत ने फरोग़ नाम के एक लेखक का किरदार निभाया, जो अपनी लेखनी के लिए कभी उचित पहचान नहीं पाता. फ़िल्म लेखकों की उस हकीकत को दर्शाती है, जिसमें उन्हें अक्सर उनका हक़ नहीं मिलता. इस फ़िल्म में विनीत का संवाद "राइटर बाप होता है" सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है और उन्होंने इस किरदार को अपने शानदार परफॉर्मेंस से यादगार बना दिया है.
अब जब हमने यह स्थापित कर लिया है कि विनीत के पास वह रेंज है जो बॉलीवुड में बहुत कम अभिनेताओं के पास है, तो वह अपनी आगामी फिल्म जाट के साथ और अधिक खोज करने के लिए तैयार हैं, जो अप्रैल 2025 में रिलीज़ होने वाली है. इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि विनीत कुमार सिंह का सफर अभी खत्म नहीं हुआ है – बल्कि यह तो बस शुरुआत है!
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