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आदित्य ठाकरे का भाजपा सरकार पर हमला, पितले मारुति मंदिर पुनर्विकास को बताया साजिश

Updated on: 06 March, 2025 11:09 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

शिवसेना (UBT) नेता आदित्य ठाकरे ने भाजपा सरकार पर पितले मारुति मंदिर के पुनर्विकास को साजिश करार देते हुए तीखा हमला बोला है.

X/Pics, Aaditya Thackeray

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शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता आदित्य ठाकरे ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए पितले मारुति मंदिर के पुनर्विकास को साजिश करार दिया है. उन्होंने ट्वीट कर आरोप लगाया कि लगभग 150 साल पुराने इस ऐतिहासिक मंदिर को विकास के नाम पर ध्वस्त करने की योजना बनाई जा रही है. यह मंदिर विरासत स्थल श्रेणी-2 में आता है, और ठाकरे के अनुसार, सरकार इसे पुनर्विकास की आड़ में खत्म करना चाहती है.



 

ठाकरे ने आरोप लगाया कि अर्थ ग्राफिक्स कंस्ट्रक्शन कंपनी मंदिर का पुनर्विकास कर रही है, लेकिन यह कार्य स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं की आस्था को नजरअंदाज करके किया जा रहा है. उनके मुताबिक, मंदिर को अंदर से छोटे पैमाने पर पुनर्निर्मित करने की योजना बनाई गई है, जो कि उसकी ऐतिहासिकता और मूल संरचना से समझौता होगा.


आदित्य ठाकरे ने भाजपा सरकार पर निजी लाभ के लिए धार्मिक स्थलों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया. उन्होंने इसे "झूठे हिंदुत्व" का एजेंडा बताते हुए कहा कि सरकार जनता की धार्मिक भावनाओं और राय को दरकिनार कर अपनी राजनीतिक मंशा पूरी करने में लगी हुई है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिवसेना (UBT) मंदिर के ऐतिहासिक महत्व से कोई समझौता नहीं करेगी और इसे वर्तमान स्वरूप में बचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.

मंदिर पुनर्विकास के खिलाफ स्थानीय निवासियों और श्रद्धालुओं ने भी विरोध दर्ज कराया है. उनका कहना है कि यह मंदिर सिर्फ पूजा-अर्चना का स्थान नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक विरासत और पहचान का प्रतीक है. स्थानीय लोगों ने चेतावनी दी है कि वे मंदिर के मूल स्वरूप में किसी भी तरह के बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगे और इसके खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे.

ठाकरे ने अपने बयान में दोहराया कि "हम भक्तों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे. मंदिर की पवित्रता और ऐतिहासिक महत्व की रक्षा के लिए हम पूरी कोशिश करेंगे. बिल्डर को किसी भी तरह की मनमानी नहीं करने दी जाएगी."

ठाकरे के इस बयान के बाद मंदिर के आसपास तनाव का माहौल बन गया है. स्थानीय प्रशासन और सरकार पर इस मुद्दे को गंभीरता से लेने और जनता की भावनाओं का सम्मान करने का दबाव बढ़ गया है. इस विवाद के राजनीतिक तूल पकड़ने की संभावना है, और विपक्षी दल भी इस मामले को लेकर भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रामक रुख अपना सकते हैं.

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