बुक लॉन्च इवेंट में शत्रुघ्न सिन्हा, पूनम सिन्हा, जितेंद्र, प्रिय दत्त, राकेश रोशन, रणजीत, अनुपम खेर, पूनम ढिल्लों, शेखर सुमन जैसे बॉलीवुड सेलेब्स शामिल होते दिखाई दिए.
राजन लाल का जीवन संघर्ष, प्रेम, विश्वासघात और आत्मनिरीक्षण की कहानी है. उनका जन्म 1947 में भारत-पाक विभाजन के दौरान कराची में हुआ, जिसके बाद उनका परिवार मुंबई आ बसा.
एक पंजाबी-यहूदी परिवार से होने के कारण उन्होंने व्यवसाय और संस्कृति का अनूठा मिश्रण अपने जीवन में अपनाया.
उनका बचपन बॉलीवुड की चकाचौंध से भरा था. उनके चाचा जे.सी. जैन, जो टाइम्स ऑफ इंडिया के महाप्रबंधक और फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के संस्थापक थे, उन्हें पहली बार इस प्रतिष्ठित अवॉर्ड शो में लेकर गए थे.
यंग राजन ने एक व्यवसायिक साझेदारी की, लेकिन उनके पहले व्यापारिक गुरु ने धोखा दिया. इसके बाद उन्होंने ITL नामक कंपनी की स्थापना की, जो कपड़ा उद्योग में कॉलर इंटरलाइनिंग का अग्रणी उद्यम बन गई.
सफलता के बाद उन्होंने सिनेमा की दुनिया में कदम रखा, और रोजा, अप्पू राजा, दलपति, शिंडलर्स लिस्ट, ट्रू लाइज जैसी हिट फिल्मों को हिंदी में डब कर बाजार में उतारा.
सफलता के बाद उन्होंने सिनेमा की दुनिया में कदम रखा, और रोजा, अप्पू राजा, दलपति, शिंडलर्स लिस्ट, ट्रू लाइज जैसी हिट फिल्मों को हिंदी में डब कर बाजार में उतारा.
2000 में, अपने करियर के शिखर पर होने के बावजूद, उन्होंने बॉलीवुड छोड़कर दुबई में एक नई शुरुआत की. उन्होंने GTA Plastics की स्थापना की, जो अब पांच देशों में सफलता प्राप्त कर रही है.
यह पुस्तक सिर्फ एक आत्मकथा नहीं, बल्कि राजन लाल की ईमानदार स्वीकारोक्ति है, जिसमें उन्होंने प्रेम, विश्वासघात और सफलता की कीमत को बेबाकी से उजागर किया है.
राजन लाल को कई बॉलीवुड दिग्गजों का समर्थन मिला है-
- महेश भट्ट ने उन्हें संघर्ष के दिनों में संबल देने वाला सच्चा दोस्त कहा.
- अनुपम खेर ने साझा किया कि कैसे राजन ने उनके करियर के कठिन समय में साथ दिया.
- अनूप जलोटा ने कहा कि राजन की महफिलों में कई दिग्गज कलाकार शामिल हुए.
- प्रिय दत्त ने बताया कि राजन उनके पिता सुनील दत्त के बेहद करीबी दोस्त थे.
राजन लाल की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जिसने संघर्ष किया, सीखा और फिर खड़ा हुआ.
राजन कहते हैं, "यह सिर्फ मेरी कहानी नहीं है, यह हर उस व्यक्ति की कहानी है, जिसने प्यार किया, धोखा खाया और फिर भी जीवन को पूरी शिद्दत से जिया. अगर मेरी यात्रा किसी एक व्यक्ति को भी प्रेरित कर सके, तो मैं इसे अपनी सबसे बड़ी सफलता मानूंगा."
बुक की लेखिका मंजू रामनन ने कहा कि "राइटिंग आई डिड इट माई वे 1924-2024" किताब को तैयार करना उनके लिए चार साल की एक गहरी यात्रा थी. यह एक ऐसे व्यक्ति की सच्ची कहानी है, जिसने बेबाक जुनून, लचीलापन और अडिग हौसले के साथ जीवन जिया."
राजन लाल की यह कहानी सिर्फ एक संस्मरण (यादों का संग्रह) नहीं है, बल्कि यह प्यार, महत्वाकांक्षा, विश्वासघात और मुक्ति की सच्ची झलक दिखाती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस किताब को पढ़कर पाठकों को न केवल एक अद्भुत जीवन यात्रा की कहानी मिलेगी, बल्कि साहस, खुद को फिर से खड़ा करने और अपनी सच्चाई की तलाश में भी सीखने को मिलेगा.
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