World Theatre Day 2025
ऋचा चड्ढा:
ऋचा चड्ढा अपनी पहली प्रोफेशनल थिएटर परफॉर्मेंस `और कितने टुकड़े` को बहुत प्यार से याद करती हैं, जिसे उन्होंने 11वीं कक्षा में किया था. यह नाटक किर्ति जैन द्वारा निर्देशित था और इसमें NSD के अनुभवी कलाकार शामिल थे. "मुझे इसमें एक्स्ट्रा कास्ट किया गया था, जिससे मुझे राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के अद्भुत अभिनेताओं को करीब से देखने और सीखने का मौका मिला. उस समय मेरे दांतों में ब्रेसेस थे, और यह एक पीरियड ड्रामा था," ऋचा ने मुस्कुराते हुए कहा.
अली फज़ल:
अली फज़ल की थिएटर यात्रा `ए गाइ थिंग` नामक नाटक से शुरू हुई, जिसे अमेरिकी नाटककार माइकल पुज्जो ने लिखा और निर्देशित किया था. लेकिन उनकी पहली थिएटर परफॉर्मेंस देहरादून के बोर्डिंग स्कूल में हुई, जहां फिल्मकार सुधांशु सरिया ने उन्हें मंच पर उतारा. "मुझे याद है कि मुझे सिर्फ एक लाइन बोलनी थी – `यू ब्लिदरिंग निनकंपूप!` और मैं स्टेज की सीढ़ियों पर रोशनी पकड़कर खड़ा था," अली ने हंसते हुए कहा.
पंकज त्रिपाठी:
पंकज त्रिपाठी का पहला नाटक `लीला नंदलाल की` था, जो भीष्म साहनी की कहानी पर आधारित था और विजय कुमार (NSD एलुमनस) द्वारा निर्देशित था. पहली बार पटना के दर्शकों के सामने परफॉर्म करते हुए उन्हें बड़ी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, जबकि उन्हें तब कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं मिला था. "यह कहानी एक खोई हुई स्कूटर के इर्द-गिर्द घूमती है, जहां नायक पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत दर्ज करता है. मैंने इसमें एक पुलिस वाले और एक चोर दोनों की भूमिका निभाई थी," पंकज ने साझा किया.
श्वेता त्रिपाठी:
श्वेता त्रिपाठी, जो अब खुद की एक थिएटर कंपनी चलाती हैं, थिएटर की ओर तब आकर्षित हुईं जब उन्होंने अभिनेता यशपाल शर्मा को एक नाटक में परफॉर्म करते देखा. "उस नाटक में एक ट्रेन के ऊपर एक सीन था, जिसे देखकर मैं थिएटर से प्यार करने लगी. इसके अलावा, एक और नाटक था `ग्रैफिटी`, जो श्यामक डावर द्वारा कोरियोग्राफ किया गया और रोशन अब्बास द्वारा निर्देशित था, जिसे मैं अब भी याद करती हूँ," श्वेता ने कहा. थिएटर ने उन्हें जीवनभर का उपहार भी दिया—उनके पति, रैपर चैतन्य शर्मा (स्लो चीता), जिनसे उनकी मुलाकात थिएटर के जरिए हुई.
अभिषेक बनर्जी:
अभिषेक बनर्जी ने स्कूल के दिनों में थिएटर की शुरुआत की थी, लेकिन असली सीख उन्हें दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज (KMC) में प्लेयर्स सोसाइटी के माध्यम से मिली—जिसने कबीर खान, सिद्धार्थ और दिव्येंदु जैसे कलाकारों को भी तराशा है. "कम नंबरों की वजह से मैं अपने भविष्य को लेकर असमंजस में था. एक बार जब मैं एक कार्यक्रम को होस्ट कर रहा था, तो एक टीचर ने गुस्से में कहा, ‘तुम बस यही कर सकते हो.’ कई लोगों को यह अपमानजनक लगता, लेकिन मुझे यह एक संकेत लगा. मैंने किरोड़ीमल कॉलेज में अभिनय ऑडिशन देकर एडमिशन लिया—यही वह कॉलेज है जहां अमिताभ बच्चन ने पढ़ाई की थी" अभिषेक ने याद करते हुए कहा.
अक्षय ओबेरॉय:
अक्षय ओबेरॉय की थिएटर यात्रा जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी से शुरू हुई. बाद में उन्होंने स्टेला एडलर स्टूडियो (न्यूयॉर्क) और प्लेहाउस वेस्ट (लॉस एंजिलिस) में प्रशिक्षण लिया. "थिएटर ने मुझे यह सिखाया कि अच्छे अभिनय का असली मतलब क्या होता है, चाहे वह किसी भी शैली का हो. आज जो भी हूँ, वह थिएटर की वजह से हूँ. इस अवसर के लिए मैं हमेशा आभारी रहूँगा," अक्षय ने साझा किया.
परुल गुलाटी:
परुल गुलाटी ने बहुत कम उम्र में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी, लेकिन थिएटर के प्रति उनका गहरा लगाव हमेशा बना रहा. उन्होंने कई नाटकों में काम किया और आज भी अपने मेंटर सौरभ सचदेवा से प्रशिक्षण लेती हैं. हाल ही में, उन्होंने एक नाटक को प्रोड्यूस करने की इच्छा जताते हुए कहा, "थिएटर मुझे ज़िंदा रखता है."
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