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कुणाल कामरा को क्यों नहीं मिल सकती कंगना की तरह सुरक्षा? संजय राउत का केंद्र पर निशाना

Updated on: 30 March, 2025 09:56 AM IST | Mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent | hmddigital@mid-day.com

राउत ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार ने कंगना को इस आशंका में सुरक्षा प्रदान की थी कि शिवसेना उन पर हमला कर सकती है, तो कामरा को भी समान सुरक्षा दी जानी चाहिए.

X/Pics

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शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने एक बार फिर से राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. इस बार उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ व्यंग्य करने वाले कॉमेडियन कुणाल कामरा के समर्थन में खड़े होकर केंद्र सरकार से उनकी सुरक्षा की मांग की है. राउत का कहना है कि कामरा को भी वही सुरक्षा मिलनी चाहिए जैसी कि 2020 में अभिनेत्री कंगना रनौत को दी गई थी.

कुणाल कामरा पर एकनाथ शिंदे को "देशद्रोही" कहने के आरोप में विभिन्न एफआईआर दर्ज की गईं. इसके चलते उन पर शारीरिक हमले भी हुए थे. इसके जवाब में मद्रास उच्च न्यायालय ने कामरा को अंतरिम अग्रिम जमानत दे दी और मुंबई पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए नोटिस जारी किया.


राउत ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार ने कंगना को इस आशंका में सुरक्षा प्रदान की थी कि शिवसेना उन पर हमला कर सकती है, तो कामरा को भी समान सुरक्षा दी जानी चाहिए. राउत के इस बयान से यह संकेत मिलता है कि वे कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं.


इस पूरे प्रकरण में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि अगर देश के कानून के अनुसार कामरा को समन जारी करना जरूरी है, तो ऐसा किया जाना चाहिए. वैष्णव ने यह भी कहा कि संविधान ने नागरिकों को कुछ अधिकार दिए हैं, लेकिन उनके साथ कुछ सुरक्षा उपाय भी हैं.

यह मामला न केवल राजनीतिक अखाड़े में उलझा हुआ है बल्कि यह भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों पर भी प्रकाश डालता है. कला और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा से ही विवादों का केंद्र रही है, और यह मामला उसी चर्चा को और गहराई से उजागर करता है.


राउत ने अपनी बातचीत में यह भी कहा कि कुणाल कामरा की तरह कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द करने का आदेश एक सकारात्मक कदम है, जिसे उन्होंने स्वागत किया. इससे यह संकेत मिलता है कि भारतीय न्यायिक प्रणाली भी कलाकारों और व्यक्तियों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए कटिबद्ध है.

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