गुड़ी पड़वा, जिसे हिंदू नववर्ष के रूप में मनाया जाता है, नए आरंभ और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. Pics/Anurag Ahire)
इस दिन लोग अपने घरों को साफ-सजाकर, दरवाज़ों पर रंगोली बनाकर और घर के मुख्य द्वार पर ‘गुड़ी’ यानी विशेष ध्वज फहराकर पर्व का स्वागत करते हैं.
गुड़ी में चमकदार रेशमी कपड़ा, नीम की पत्तियां, फूल, शक्कर की माला और ऊपर तांबे या चांदी का लोटा सजाया जाता है.
ऐसा माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि और शुभ ऊर्जा का प्रवेश होता है.
गोरेगांव में इस मौके पर एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई जिसमें सैकड़ों की संख्या में स्थानीय महिलाएं और लड़कियां पारंपरिक नौवारी साड़ी में शामिल हुईं.
उन्होंने लेज़िम, झांझ और ढोल-ताशे की धुन पर शानदार नृत्य प्रस्तुत किए. उनके चेहरों पर पारंपरिक मराठी गर्व और नववर्ष की उमंग साफ झलक रही थी.
मौके पर उपस्थित वरिष्ठ नागरिकों और बच्चों ने भी इस आयोजन का आनंद लिया.
स्थानीय मंडलों द्वारा सजावट, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और पारंपरिक खाद्य व्यंजनों की व्यवस्था की गई थी.
लोग एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते दिखे और पूरे क्षेत्र में एकजुटता और आनंद का माहौल बना रहा.
गुड़ी पड़वा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की सांस्कृतिक विरासत का उत्सव है.
गोरेगांव का यह आयोजन इस बात का सजीव प्रमाण है कि आज भी लोग अपनी जड़ों से जुड़े रहकर त्योहारों को पूरे उत्साह और भक्ति भाव से मनाते हैं.
यह दिन न केवल परंपराओं को जीने का अवसर देता है, बल्कि सामाजिक एकता और सामूहिक उल्लास का संदेश भी देता है.
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