Updated on: 05 December, 2023 08:00 AM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
हिंदू धर्म में सभी देवों की अपनी भूमिका और महत्व होता है. वहीं भगवान शिव का विशेष स्थान है. काल भैरव भगवान शिव के ही रौद्र रूप हैं. भगवान काल भैरव की जयंती इस साल 5 दिसंबर को है.
प्रतिकात्मक तस्वीर
हिंदू धर्म में सभी देवों की अपनी भूमिका और महत्व होता है. वहीं भगवान शिव का विशेष स्थान है. काल भैरव भगवान शिव के ही रौद्र रूप हैं. भगवान काल भैरव की जयंती इस साल 5 दिसंबर को है.
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काल भैरव जयंती पर तांत्रिक विद्वान लोग विशेष पूजा करते हैं. काल भैरव का वाहन कुत्ता है. उनकी जयंती पर कुत्ते को भोजन कराने से विशेष फल प्राप्त होता है. हिन्दू धर्म के माह मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूजा के दौरान राशि के अनुसार मंत्रों का जाप करना चाहिए. अष्टमी तिथि 4 दिसंबर 2023 दिन सोमवार रात 9 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो रही है. इसका समापन 6 दिसंबर 2023 दिन बुधवार को रात में 12 बजकर 37 मिनट पर होगा. उदया तिथि में ही हिन्दू धर्म में पूजन और धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व है इसलिए कालभैरव का पूजन 5 दिसंबर को किया जाएगा.
कालभैरव की पूजा अधिकतर हर प्रकार की सिद्धि के लिए की जाती है. यहां तक कि जो लोग नकारात्मक चीजों या मृत्यु से डरते हैं वे भी कालभैरव की पूजा करते हैं. कालभैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है. जब भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव का अपमान किया और उनका चौथा सिर क्रोध में जलने लगा, तो भगवान शिव ने कालभैरव की रचना की. उसने ब्रह्मा जी का चौथा सिर काट दिया. स्कन्दपुराण में यह कथा विस्तार से दी गयी है. इन्ही काल भैरव को काशी के कोतवाल के रूप में हम सभी जानते हैं. .
मार्कंडेय पुराण के अनुसार देवी दुर्गा की पूजा के बिना भैरव पूजा का फल नहीं मिलता है. इसलिए इस दिन मां दुर्गा की भी विशेष पूजा करने का विधान बताया गया है. काल भैरव की पूजा रात में होती है. फूल, इमरती, जलेबी, उड़द, पान, नारियल आदि चीजें अर्पित करते हैं.
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