Updated on: 05 March, 2024 08:00 PM IST | mumbai
Hindi Mid-day Online Correspondent
इस साल 8 मार्च 2024 यानी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. शिवपुराण के अनुसार इस तिथि की पावन रात्रि को भगवान शिव और पार्वती की शादी हुई थी. यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है.
भगवान शिव
इस साल 8 मार्च 2024 यानी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. शिवपुराण के अनुसार इस तिथि की पावन रात्रि को भगवान शिव और पार्वती की शादी हुई थी. यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है.
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वहीं, पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सती का पार्वती के रूप के पुनर्जन्म हुआ था. शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शक्कर, शहद, घी, भांग, पुष्प, धतूरा, चंदन, फल अर्पित किए जाते हैं. इसके अलावा कुछ चीजों को निषेध माना गया है.
ये फूल हैं वर्जित
ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को बहला फुसलाकर भगवान शिव के सामने झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया है. केतकी का फूल और ब्रह्मा जी ने शिव जी को ज्योतिर्लिंग की शुरुआत मिलने की झूठी बात कही है. शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित न होने का श्राप दे दिया.
तुलसी न चढाएं
तुलसी के पत्ते शिव जी को नहीं पढ़ाया जाता है. भगवान विष्णु की उपासना तुलसी दल के बिना पूर्ण नहीं होती लेकिन भगवान शिव को तुलसी चढ़ाना वर्जित माना गया है.
हल्दी नहीं चढ़ाएं
शिवजी को कभी भी हल्दी नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि हल्दी को स्त्री से संबंधित माना गया है. इस कारण उन्हें शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है.
नारियल पानी न चढ़ाएं
शिव जी को नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए. कभी भी शिवलिंग पर नारियल पानी नहीं चढ़ाना चाहिए.नारियल को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. लक्ष्मी मां को भगवान विष्णु की अर्धांगिनी माना गया है. नारियल को श्रीफल कहते हैं और उन्हें मां लक्ष्मी का ही स्वरूप माना गया है इसलिए इसका प्रयोग भगवान शिव की पूजा में नहीं किया जाता है.
शंखजल से न करें अभिषेक
भगवान शिव का शंख से अभिषेक नहीं किया जाता है. इसके पीछे एक कथा है माना जाता है कि शंखचूड़ एक महापराक्रमी दैत्य था, उसका वध स्वयं भगवान शिव ने किया था. उसके शरीर की भस्म से उत्पन्न हुआ था, इस कारण शंखजल से शिव जी का अभिषेक नहीं किया जाता है.
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